कैद में रखी गई 19 माह की प्रवासी बच्ची की मौत, मां ने कहा- मैं चाहती हूं दुनिया अमेरिका की बेदिली देखे
वॉशिंगटन. ग्वाटेमाला की रहने वाली महिला ने बुधवार को नवजात बेटी की मौत के बाद अमेरिका के शरणार्थी हिरासत केंद्रों की क्रूरता की निंदा की। दरअसल, अमेरिकी प्रवासन अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के बाद महिला की बेटी की मौत हो गई थी।हिरासत में लिए गए शरणार्थियों की खराब स्थिति को लेकर हो रही कांग्रेस की सुनवाई में यजमिन जुआरेज ने कहा-बच्चों को पिंजरों में कैद कर रखा जाता है। मैं चाहती हूं किदुनिया भी अमेरिका की बेदिली देखे।
सुनवाई से पहले जुआरेज ने आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग को लेकर कहा-अगर आज मैं कुछ बदल सकती हूं यायह बताकर कोई बदलाव ला सकती हूं कि आईसीई के कारावास में शरणार्थियों के साथ कितना बुरा व्यवहार होता है तो यह बिल्कुल अनुचित है।
जुआरेज ने बताया- वह पिछले साल अपनी 19 माहकी बेटी के साथ अमेरिका भाग गई थीं। कारण कि ग्वाटेमाला में उन्हेंजान का खतरा था।उन्होंने अमेरिकी सीमा पार कर शरण मांगी। लेकिन, आव्रजन अधिकारियों ने पकड़कर उन्हेंजमा देने वाले पिंजरे में डाल दिया। इसके बाद उन्हें आईसीई हिरासत केंद्र ले जाया गया। जहां उनकी बेटी बीमार हो गई।
जुआरेज ने कहा- मैंने डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ से बेटी की देखरेख करने की गुहार लगाई, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। बाद में हमें आईसीई ने छोड़ दिया। मैं बेटी मैरी को लेकर डॉक्टर के पास गई, उसे इमरजेंसी रूम में भर्ती किया गया। लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
जुआरेज के मुताबिक- दुनियाभर के लोगों को यह जानना चाहिए कि आईसीई में बहुत सारे बच्चों के साथ क्या हो रहा है। मेरी बेटी तो जा चुकी है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि उसकी कहानी अमेरिकी सरकार को ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगी।ओवरसाइट एंड रिफॉर्म हाउस कमेटी की अध्यक्ष एलिजा कमिंग्स ने भीइसकी निंदा की।
कांग्रेस के हिस्पैनिक कॉकस के अध्यक्ष प्रतिनिधि जोकिन कास्त्रो ने कहा-सरकार कीजवाबदेही होनी चाहिए।सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार आयोग की प्रमुख मिशेल बैचलेट ने कहा था कि अप्रवासियों और शरणार्थियों को अमेरिकी के हिरासत केंद्रो में जिस प्रकार रखा जाता है, यह देखकर बेहद दुखी हूं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story