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माओ की नृशंस सांस्कृतिक क्रांति लौटने का खतरा, गांवों में भेजे जाएंगे एक करोड़ वॉलंटियर्स - Update Every Time
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माओ की नृशंस सांस्कृतिक क्रांति लौटने का खतरा, गांवों में भेजे जाएंगे एक करोड़ वॉलंटियर्स



बीजिंग. चीन में एक करोड़ कम्युनिस्ट वॉलंटियर्स को गांवों में भेजने की योजना बनाई जा रही है। सरकार को डर है कि 50 साल पहले हुई माओ सांस्कृतिक क्रांति दोबारा से लौट सकती है। कम्युनिस्ट यूथ लीग (सीवाईएल) ने वादा किया है कि 2022 तक एक करोड़ से ज्यादा वॉलंटियर्स ग्रामीण इलाकों में पहुंचाए जाएंगे ताकि लोगों का कौशल बढ़ाया जा सके, सभ्यता को फैलाया जा सके और लोगों का विज्ञान-तकनीकी की ओर झुकाव बढ़े।

  1. माओत्से तुंग ने सांस्कृतिक क्रांति (1966-76) की शुरुआत की थी। क्रांति की शुरुआत की घोषणा करते हुए माओ ने चेतावनी दी थी कि बुर्जुआ वर्ग कम्युनिस्ट पार्टी में अपना प्रभाव कायम कर तानाशाही स्थापित करना चाहता है। वास्तव में माओ ने सांस्कृतिक क्रांति का इस्तेमाल अपनी पार्टी को प्रतिद्वंद्वियों से छुटकारा दिलाने के लिए शुरू किया था। माओ और उनके समर्थकों ने हजारों रेड गार्डों को एकजुट करके उन्हें चीनी समाज के चार पुराने स्तंभों पुराने रिवाज, तौर-तरीके, संस्कृति और पुरानी सोच को खत्म करने के लिए कहा।

  2. हुनान के कम्युनिस्ट पार्टी प्रमुख झांग लिनबिन के मुताबिक- हमें ऐसे युवाओं की जरूरत है जो विज्ञान और तकनीकी की मदद से देश में पारंपरिक विकास मॉडल को नए रूप में पेश कर सकें। छात्रों को गर्मियों की छुट्टियों के दौरान गांवों में भेजा जाएगा।

  3. सीवाईएल के मुताबिक- सांस्कृतिक क्रांति के पुराने गढ़ भयंकर गरीबी से जूझ रहे हैं। वॉलंटियर्स भेजे जाने के लिए अल्पसंख्यक वाले इलाकों को प्राथमिकता में रखा गया है। हान बहुसंख्यकों और तिब्बतियों-उइगरों के बीच संबंध अक्सर खराब होते हैं। हान आबादी का 90% हिस्सा हैं।

  4. चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोग दोबारा सांस्कृतिक क्रांति को लेकर डर जता रहे हैं। यूजर वांग तिंग यू ने लिखा- क्या हम यह सब दोबारा से शुरू करने जा रहे हैं? एक यूजर ने लिखा- ऐसा (सांस्कृतिक क्रांति) तो हम 40 साल पहले कर चुके। एक यूजर कलसांग वांगडु टीबी ने लिखा- कभी-कभी इतिहास आगे बढ़ता है, कभी-कभी पीछे हट जाता है।

  5. दरअसल राष्ट्रपति शी जिनपिंग माओ से काफी प्रभावित रहे हैं। उनके मन में अभी भी माओ को दौर की यादें जिंदा हैं। वह खुद जिंदगी के 7 साल शांसी के एक गरीब गांव में गुजार चुके हैं।

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      प्रतीकात्मक फोटो।

      Source: bhaskar international story