अमेरिका का यमन युद्ध में हिस्सा ले रहे सऊदी अरब के लड़ाकू विमानों में तेल भरने से इनकार
वॉशिंगटन. अमेरिका अब यमन के साथ बम गिरा रहे लड़ाकू विमानों में हवा में री-फ्यूलिंग नहीं करेगा। वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में सऊदी अरब की यमन पर कार्रवाई की काफी आलोचना हो रही है। सऊदी की अगुआई वाली एयरफोर्स के हमले में बच्चों समेत हजारों नागरिकों की मौत हो चुकी है। हालांकि अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने वॉशिंगटन पोस्ट की खबर की पुष्टि नहीं की है। सऊदी सेनाएं यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं।
पेंटागन की प्रवक्ता रेबेका रेबरिच के मुताबिक- हम लगातार सऊदी अरब से चर्चा कर रहे हैं लेकिन इस वक्त हम कुछ नहीं बता सकते। अमेरिकी रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने अगस्त में चेतावनी दी थी कि सऊदी कोएलिशन को अमेरिका बिना किसी वजह के समर्थन नहीं देगा। यमन में कार्रवाई में किसी भी निर्दोष की जान नहीं जानी चाहिए।
अभी तक अमेरिका सऊदी कोएलिशन के यमन पर कार्रवाई करने वाली 20% उड़ानों में री-फ्यूलिंग कर रहा था। मैटिस ने पिछले महीने यमन में युद्धविराम की बात कही थी और जंग कर रहे लोगों को 30 दिन के अंदर बातचीत से मसले का हल निकालने के लिए कहा था।
सऊदी अरब के पास री-फ्यूलिंग के लिए 23 विमानों का बेड़ा है जिसमें से 6 एयरबस 330 एमआरटीटी और यूएई के 6 एयरबस विमान यमन ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
2 अक्टूबर को वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी इस्तांबुल स्थित सऊदी दूतावास गए थे लेकिन वापस नहीं लौटे। तुर्की ने खशोगी की हत्या का दावा किया। काफी बाद में सऊदी ने हत्या की बात स्वीकारी। मामले में सऊदी का समर्थन करने के चलते इंटरनेशनल कम्युनिटी ने अमेरिका की भी आलोचना की। अब सऊदी विमानों में री-फ्यूलिंग न करने का फैसला कर अमेरिका अपनी छवि साफ करना चाहता है।
2015 से ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है। हूती विद्रोह की शुरुआत उत्तरी यमन से 2004 में हुई थी। वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने यमन के राष्ट्रपति अब्द्राबो मंसूर हादी को मान्यता दी है। हूती नेता हुसैन बद्रेद्दीन अल हूती पर 55 हजार डॉलर का इनाम भी रखा गया था। सिविल वॉर में अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं।
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Source: bhaskar international story