अमेरिका ने हुवावे के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया, सीएफओ के प्रत्यर्पण की मांग करेगा
वॉशिंगटन. अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने चीन की टेलीकॉम कंपनी हुवावे के खिलाफ सोमवार को आपराधिक मामला दर्ज कर लिया। अमेरिका का आरोप है कि हुवावे ने ईरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था। टी-मोबाइल कंपनी के ट्रेड सीक्रेट चुराने के आरोपों के सिलसिले में भी हुवावे पर आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। अमेरिकी कंपनी टी-मोबाइल ने 2014 में हुवावे के खिलाफ शिकायत की थी। अमेरिका की कार्रवाई को चीन के उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को अन्यायपूर्ण और अनैतिक बताया है।
अमेरिका के कहने पर 1 दिसंबर को कनाडा के वैंक्यूवर शहर में हुवावे की ग्लोबल सीएफओ मेंग वांगझू की गिरफ्तारी हुई थी। 10 दिन बाद उन्हें सशर्त जमानत मिली थी। अमेरिका कनाडा से मेंग का प्रत्यर्पण चाहता है। नियमों के मुताबिक 30 जनवरी तक प्रत्यर्पण की अर्जी दाखिल करने की डेडलाइन है। अमेरिका का कहना है कि वह समय रहते अपील दायर कर देगा।
अमेरिका का आरोप है कि मेंग वांगझू, हुवावे और इसकी हॉन्गकॉन्ग स्थित सब्सिडियरी स्काईकॉम टेक्नोलॉजीज ने धोखाधड़ी की, कानून का उल्लंघन किया, मनी लॉन्ड्रिंग की साजिश रजी और प्रतिबंधों के बावजूद ईरान के साथ लेन-देन किया। हालांकि, हुवावे ने इन आरोपों को गलत बताया है।
दिसंबर में मेंग की गिरफ्तारी के बाद चीन ने अमेरिका और कनाडा के खिलाफ नाराजगी जताई थी। कनाडा के पूर्व राजनयिक माइकल कोवरिग समेत कुछ अन्य लोगों को चीन में हिरासत में भी लिया गया था।
मेंग के पिता रेन झेंगफेई हुवावे के चेयरमैन हैं। मेंग खुद भी कंपनी बोर्ड में वाइस चेयरपर्सन हैं। मेंग के पिता रेन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी हैं। वो 20 साल तक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में थे। बताया जाता है कि उन्होंने सेना के टेक्नोलॉजी डिवीजन में भी काम किया था। रेन ने 1987 में हुवावे की शुरुआत की थी। वो अपनी बेटी मेंग को उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार कर रहे हैं।
हुवावे सैमसंग के बाद दुनिया की दूसरी बड़ी स्मार्टफोन कंपनी भी है। इसी साल हुवावे ने एपल को पीछे छोड़ा है। हुवावे से 1.8 लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं। यह 170 देशों में प्रोडक्ट बेचती है। पिछले साल इसका टर्नओवर 6.5 लाख करोड़ रुपए रहा था। चीन के लिए हुवावे इसलिए अहम है क्योंकि इससे तकनीक के मामले में अमेरिका और यूरोप पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी।
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Source: bhaskar international story