अमेरिका में रैलियां और चाय पे चर्चा हुई, राष्ट्रीय सुरक्षा और धार्मिक आजादी मुख्य मुद्दे
रूपांजलि दुबे (कैलिफोर्निया). दक्षिणी कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स और सैन फ्रांसिस्को में भाजपा समर्थकों ने रैलियों और चाय पे चर्चा के जरिए भाजपा का प्रचार किया। इसमें सबसे बड़ी भूमिका ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी की रही। यह पश्चिमी देशों में काफी बड़ा संगठन बन गया है। अमेरिका में इसके 4 हजार से ज्यादा सदस्य हैं और 3 लाख से ज्यादा समर्थक इन आयोजनों में शामिल हो चुके हैं। स्थानीय अखबारों से लेकर सोशल मीडिया तक में उनके कैम्पेन जारी हैं। अमेरिकी भारतीयों में इस बार भारतीय चुनावों को लेकर जो माहौल है वह पहले शायद ही देखने को मिला हो।
अमेरिका में सैन फ्रांसिस्को के जिस इलाके में हम रहते हैं वह बे-एरिया कहलाता है। कैलिफोर्निया के इसी इलाके में सिलिकॉन वैली भी है, जहां गूगल, एपल, सिस्को, एचपी जैसी आईटी और टेक्नोलॉजी कंपनियों के मुख्यालय हैं। करीब 88 लाख की आबादी में 32% से ज्यादा लोग दूसरे देशों के हैं, जिनमें 33% से ज्यादा एशियाई मूल के हैं। एच1-बी वीजा पाने वालों में भारतीय सबसे आगे हैं जिनकी बड़ी संख्या इसी इलाके में है।
‘चर्चा में केवल नरेंद्र मोदी और राहुल’
मैं घर से थोड़ी दूर एक भव्य मंदिर में लगभग रोज ही जाती हूं जहां भक्ति के साथ भारत में हो रहे लोकसभा चुनाव की चर्चाएं भी सुनने को मिलीं। बहस के केंद्र में राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी ही रहे। इस बार भारतीय अर्थव्यवस्थाके अलावा दो महत्वपूर्ण मुद्दे भी देखने को मिले- राष्ट्रीयसुरक्षा और धार्मिक आजादी। कश्मीर में सेना पर हुए आतंकीहमले के बाद से लोगों में यहां भी गुस्सा है। कई भारतीय औरभाजपा समर्थकों ने मोदी, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और वर्ल्ड लीडर्स से पाकिस्तान को सबक सिखाने की अपील की।
‘अमेरिका में भारत जैसी सरगर्मी नहीं’
अमेरिका में 20 साल से रह रहे आईटी प्रोफेशनल मनोज शर्माकहते हैं- भारत में चुनाव बेहद दिलचस्प होते हैं। अमेरिका मेंऐसी सरगर्मी मिस करता हूं। इस बार के चुनाव थोड़े अलग हैं।वैसे तो भारत में पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी (संसदीय लोकतंत्र) हैलेकिन इस बार वहां अमेरिका जैसी प्रेसिडेंशियल डेमोक्रेसी के रंगनजर आए। ऐसा लग रहा है जैसे चयन ममता बनर्जी, मायावतीऔर राहुल का या फिर मोदी या भाजपा का है। वैसे तो चुनाववोट देने के अधिकार की बात कहता है लेकिन भारत में यह मतका दान ही बनकर रह गया है।
‘नोटबंदी से नाराजगी’
अमेरिका में ही रह रहीं एक और भारतीय मीता नोटबंदी कीवजह से मोदी से नाराज हैं। वे पहले मोदी को पसंद करती थीं।मीता के मुताबिक- मोदी ने नोटबंदी के बाद कहा कि जिन नोटोंको बंद किया गया है, उन्हें बदलने में कोई परेशानी नहीं होगी।हम समय निकालकर नोट बदलवाने गए, लेकिन बहुत इंतजारऔर परेशानियों के बावजूद काम नहीं हुआ। मेहनत से कमायापैसा बर्बाद हो गया।
रिश्तेदारों से वोट डालने की अपील
अमेरिका में ज्यादातर भारतवंशियों के पास भारतीय नागरिकतानहीं है। लिहाजा वे भारत में वोट नहीं डाल सके, लेकिन उत्साहइतना है कि भारत में अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को फोन कर वोटडालने की अपील कर रहेहैं। इसके लिए वे सोशल मीडिया काभी जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
(रूपांजलि कैलिफोर्निया में आईटी प्रोफेशनल हैं)
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Source: bhaskar international story