अमेरिकी नागरिक का शव निकालने के लिए आदिवासियों के तौर-तरीके समझ रही पुलिस
नई दिल्ली. अंडमान-निकोबार केनॉर्थ सेंटिनेल द्वीप से अमेरिकी नागरिक जॉन चाऊ का शव लाने के लिए पुलिस वहां रहने वाले आदिवासियों के तौर-तरीके सीख रही है। इसके लिए मानव विज्ञानी औरशिक्षाविदों की मदद ली जा रही है।उनसे समझा जा रहा है किसेंटिनेलीज आदिवासीकिसी को मारने के बाद उसके शव का करते हैं।
चाऊ ने 16 नवंबर को सेंटिनल द्वीप पर कदम रखा था। वहां आदिवासियों ने तीर मारकर उनकीहत्या कर दी थी। कुछ विशेषज्ञोंने बताया कि सेंटिनेलीज अपने द्वीप पर आने वाले बाहरी व्यक्ति को मारकर उसका शव दफना देते हैं। कुछ दिन के अंतराल पर वे शव वापस निकाल कर उसे बांस के डंडे पर लटकाते हैं और उसे समुद्र के किनारे चेतावनी के तौर पर रख देते हैं।
पुलिस ने पता लगाई शव को दफनाने की जगह
अंडमान-निकोबार के डीजीपी दीपेंद्र पाठक का कहना है कि जांचकर्ताओं ने शुक्रवार को द्वीप पर चार-पांच आदिवासियों को 500 मीटर के दायरे में हलचल करते देखा था। इसी के आधार पर चाऊ को दफनाने वाली जगह का अंदाजा लगाया गया। हालांकि, उन्होंने कहा किआदिवासियों का बर्ताव समझने के बाद ही वहां पहुंचने का फैसला किया जाएगा।
बाहरी दुनिया से सेंटनलीज का संपर्क नहीं
सेंटीनलीज बाहरी दुनिया के संपर्क में रहना पसंद नहीं करते हैं। 2011 में इनकी आबादी 40 आंकी गई थी। 2006 में भी भारतीय नौसेना ने द्वीप से दो मछुआरों के शव लाने के लिए हेलिकॉप्टर भेजा था, लेकिन आदिवासियों ने उन पर पत्थर बरसा दिए। डीजीपी के मुताबिक, चाऊ का शव ढूंढने के लिए स्थानीय प्रशासन ने इस बार भी हेलिकॉप्टर और शिप भेजा है, लेकिन जांचकर्ता काफी दूर से ही आदिवासियों की गतिविधियों पर नजर रख पाए।
द्वीप में घुसने की कोशिश से सेंटिनेल को खतरा
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस द्वीप में बार-बार घुसने की कोशिश होगी तो संरक्षित जनजाति को खतरा हो सकता है। जनजातीय अधिकारों के विशेषज्ञों का मानना है कि इन आदिवासियों को हत्यारा नहीं कहा जा सकता।
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Source: bhaskar international story