ऐलान से पहले सटोरियों ने ट्रम्प और किम पर दांव लगाया
ओस्लो.शांति के नोबेल पुरस्कार के ऐलान से पहले सटोरियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को अवॉर्ड दिए जाने पर दांव लगाया। इसी साल 12 जून को ट्रम्प और किम की सिंगापुर में ऐतिहासिक मुलाकात हुई थी। विश्व में शांति की इस पहल की काफी सराहना हुई थी। उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम और लगातार मिसाइल परीक्षणों के चलते दुनियाभर में तनाव था। अमेरिका-उत्तर कोरिया एक-दूसरे को कई बार जंग की धमकी तक दे चुके थे।
नोबेल कमेटी के मुताबिक, इस साल शांति पुरस्कार के लिए 331 नामांकन आए। इनमें से 216 प्रविष्टियां व्यक्तियों और 115 नॉमिनेशन समूहों की ओर से मिले। ब्रिटेन की सट्टा लगाने वाली कंपनी लेडब्रोक्स ने शांति का नोबेल जीतने वालों में ट्रम्प-किम को अव्वल स्थान पर रखा।
इन नेताओं-समूहों की चर्चा थी
डोनाल्ड ट्रम्प: कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव कम करने का श्रेय लेते हैं। ट्रम्प अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति बने जिन्होंने उत्तर कोरिया के तानाशाह से हाथ मिलाया। 18 रिपब्लिकन सांसदों ने मई में नोबेल कमेटी को लिखे पत्र में ट्रम्प को शांति का पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। पत्र में लिखा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने कोरियाई युद्ध खत्म कराने में अहम भूमिका निभाई। ट्रम्प ने कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु खतरे से मुक्त किया और क्षेत्र में शांति कायम करने में अहम भूमिका निभाई।
एंजेला मर्केल: जर्मन चांसलर को क्वीन ऑफ यूरोप भी कहा जाता है। राजनीतिक विरोध के बावजूद मर्केल ने सीरिया के हजारों रिफ्यूजियों को जर्मनी में शरण दी। लोगों के बीच सौहार्द्र कायम करने के लिए इसी साल मर्केल को सेंट फ्रांसिस लेंप शांति पुरस्कार दिया गया था।
पुरस्कार विजेताकॉन्गो के डॉ. डेनिस मुकवेगे के अलावा सऊदी अरब के ब्लॉगर रैफ बदावी का नाम भी चर्चा में रहा। न्यूज चैनलों पर ईशनिंदा के चलते बदावी को जेल में डाल दिया गया था। ट्रम्प की नीतियों का विरोध करने के चलते अमेरिकी संगठन एसीएलयू भी काफी सुर्खियों में था। शांति पुरस्कार के लिए सीरिया का सहायता समूह व्हाइट हैलमेट, रूस का नोवाया गजेटा अखबार, एडवर्ड स्नोडेन और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के भी कयास लगाए गए।
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Source: bhaskar international story