गुजराती वैज्ञानिक का आरोप- सरनेम हिंदुओं जैसा नहीं था, इसलिए गरबा में एंट्री नहीं दी
वॉशिंगटन. अमेरिका में एक भारतीय वैज्ञानिक के साथ भेदभाव का मामला सामने आया है। 29 साल के करण जानी ने आरोप लगाया कि मुझे और मेरे दोस्तों को अटलांटा में एक गरबा फेस्टिवलमें शुक्रवार को इसलिए नहीं घुसने दिया गया, क्योंकि उन्हें हमारे सरनेम हिंदुओं जैसे नहीं लगे। मैं तीन दोस्तों के साथ इस कार्यक्रम में शामिल होने गया था। मैंने उनसे गुजराती में भी बात की, लेकिन उन्होंने हमें हिंदू मानने से इनकार कर दिया।
करणने इस घटना का जिक्र अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी किया। उन्होंने बताया- अटलांटा के शक्ति मंदिर मेंहम सभी कोएंट्री नहीं दी गई, क्योंकि मेरा सरनेम ‘जानी’ औरमेरे एक और दोस्त का सरनेम‘वाला’ से खत्महोता हैऔर आयोजकों को यह हिंदू सरनेम की तरहनहींलगा।”
Year 2018 & Shakti Mandir in Atlanta, USA denied me and my friends entry from playing garba because:
“You don’t look Hindu and last name in your IDs don’t sound Hindu”
-THREAD- pic.twitter.com/lLVq4KhJtw
— Dr. Karan Jani (@AstroKPJ) October 13, 2018
करणने ट्वीट में बताया कि एक कार्यकर्ता ने उनसे कहा कि हम तुम्हारे कार्यक्रममें नहीं आते, इसलिए तुम हमारे कार्यक्रममें नहीं आ सकते। जब एक महिला मित्र ने कार्यकर्ता से कहा कि वह कन्नड़-मराठी समुदाय से है, तो कार्यकर्ता ने पहचानने से इनकार करते हुए कहा कि तुम इस्माइली (मुस्लिमों का एक समुदाय)लगती हो।
My Konkani friend who came to Garba for 1st time *due to enthusiasm of us Gujaratis* was pulled out of line & was told:
“We don’t come to your events, you are not allowed to ours”
She: “My last name is Murdeshwar. I’m Kannada-Marathi!”
Him: “What is Kannada? You are Ismaili”
— Dr. Karan Jani (@AstroKPJ) October 13, 2018
करणके मुताबिक,उन्होंने अमेरिका में अपने 12 साल के करियर में कभी इस तरह के भेदभाव का सामना नहीं किया। अमेरिकी अच्छे से पेश आते हैं। सोशल मीडिया पर इस घटना का जिक्र करने से पहले करणने श्रीशक्ति मंदिर को ईमेल भी किया था।बाद में प्रबंधन ने इस घटना के लिए खेद जताया।
करणने बताया, “मैंने गुजराती में भी बात की, लेकिन कार्यकर्ता दूसरे धर्मों का जिक्र करते रहे और आखिर में एक साथहमें बाहर का रास्ता दिखा दिया।” उन्होंने बताया कि हमारे आईडी कार्ड में राष्ट्रीय चिह्न के साथ सत्यमेव जयते भी लिखा था, पर वे लोग कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे।
करण2016 में वैज्ञानिकों की गुरुत्वाकर्षण तरंगों पर खोज करने वाली ‘लिगो’ टीम में शामिल किए गए थे। वे मूलत: गुजरात के वडोदरा के रहने वाले हैं।पिछले 12 सालसे अमेरिका में ही रह रहे हैं।
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Source: bhaskar international story