गेम्स ऑफ थ्रोन्स की तर्ज पर 29 देशों के 1000 से ज्यादा खिलाड़ी एक दूसरे से भिड़े
कीव. यहां से 100 किमी दूर कॉपाचिव गांव में 29 देशों के खिलाड़ी मध्यकालीन युग के योद्धाओं के वेष में एक दूसरे से भिड़े। गेम्स ऑफ थ्रोन्स की तर्ज पर लड़ रहे खिलाड़ियों को देखकर वह युग याद आ गया, जिसमें सेनाएं एक दूसरे से भिड़ती थीं और युद्ध का फैसला तब होता था जब एक सेना के पैर पूरी तरह से उखड़ जाएं। इस प्रतियोगिता में खिलाड़ी के गिरने पर ही मान लिया जाता था कि वहखेल से बाहर हो गया। इस बार 1000 से ज्यादा खिलाड़ियों नेइसमें भाग लिया। इनमें महिला खिलाड़ी भी शामिल रहीं।
इस इवेंट में एक किलेनुमा जगह बनाई जाती है। इसके भीतर रेतीली जमीन पर दो टीमें आपस में भिड़ती हैं। खिलाड़ी उसी तरह के हथियारों की प्रतिकृति से एक दूसरे पर वार करते हैं, जैसे जंग में सैनिक एक दूसरे पर करते थे।
कवच पर ही वार करने का नियम
इस बार इंटरनेशनल मेडिवल कॉम्बेट फेडरेशन ने चार दिनों का वर्ल्ड कप यूक्रेन की राजधानी कीव में आयोजित किया। इससे पहले यह स्कॉटलैंड में हुआ था। यूक्रेन ने इस तरह के खतरनाक संघर्ष को 2016 में अपने आधिकारिक खेल का दर्जा दे दिया था।
इस खेल में कुछ नियम तय किए गए। खिलाड़ी भारी-भरकम कवच पहनकर मैदान में उतरते हैं। उन्हें शरीर के उसी हिस्से पर वार करने की अनुमति थी, जो कवच से ढका हो। कोहनी और गर्दन पर वार करना खेल के नियमों के विरुद्ध माना गया।
यूक्रेन में पहली बार यह इवेंट
जिन प्रमुख देशों ने इसमें हिस्सा लिया, उनमें ब्रिटेन, जर्मनी, चीन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की टीमें शामिल हैं। कॉपाचिव गांव में प्राचीन काल के राज्य की प्रतिकृति लकड़ी से बनाई गई।यह पहली बार है जब यूक्रेन में इसका आयोजन किया गया।
‘भारी कवच पहनकर लड़ना चुनौतीपूर्ण’
फ्रांस की टीम के कप्तान क्रिस्टोफर बर्रे का कहना है कि प्रतियोगिता शानदार रही। हालांकि, उनका कहना है कि 20-20 किलो के कवच पहनकर एक दूसरे से जूझना वाकई चुनौतीपूर्ण था। पोलैंड के खिलाड़ी का कहना था कि उनका कवच 27 किलो का था।
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Source: bhaskar international story