चीन ने एक साल में 88 गगनचुंबी इमारतें बनाईं, ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश
बीजिंग. चीन ने इस साल 200 मीटर की ऊंचाई वाली 88 गगनचुंबी इमारतें (स्काईस्क्रैपर्स) बनाईं। इन्फ्रास्ट्रक्चर पर नजर रखने वाली काउंसिल ऑफ टॉल बिल्डिंग्स एंड अर्बन हैबिटेट के मुताबिक, ऊंची इमारतों के निर्माण के लिहाज से यह आंकड़ा ऐतिहासिक है। इतने स्काईस्क्रैपर्स अमूमन पूरे चीन में बनाए गए। यह इसलिए भी अहमियत रखता है कि इससे पहले इतने (88) स्काईस्क्रैपर किसी एक देश ने नहीं बनाए थे। यही नहीं, चीन में अमेरिका की तुलना में 13 गुना स्काईस्क्रैपर्स बनाए गए।
अर्बन हैबिटेट के मुताबिक, दुनियाभर में इस साल 143 स्काईस्क्रैपर बनाए गए। यह अब तक का दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2017 में दुनिया में 147 स्काईस्क्रैपर बनाए गए थे। एक आकलन के मुताबिक, 2018 में चीन में 61.5% नई इमारतें बनीं। इनमें से 14 दक्षिणी चीन के शेनझेन में बनाई गईं। यह शहर लगातार तीसरे साल दुनिया के बेस्ट शहरों की रैंकिंग में टॉप पर रहा। शेनझेन के बाद दुबई, बीजिंग, न्यूयॉर्क का नंबर रहा।
चीन यून को वाइन पोत के आकार में बनाया गया है। 1,731 फीट (528 मीटर) की यह इमारत दुनिया की आठवीं सबसे ऊंची इमारत है। इस साल की सबसे ऊंची इमारतों के मामले में एशियाई शहरों का दबदबा रहा। इनमें हो ची मिन्ह सिटी (वियतनाम), चांग्शा, चीन के शहर शामिल हैं। इन जगहों पर पिछले 12 महीनों में 1312 फीट (400 मीटर) से भी ज्यादा ऊंची इमारतें बनाई गईं।
दक्षिण अमेरिका में ब्यूनस आयर्स (अर्जेंटीना), बोगोटा(कोलंबिया) में भी स्काईस्क्रैपर बनाए गए। सैन फ्रांसिस्को और मियामी में क्रमश: 326 मीटर (1,070 फीट) सेल्सफोर्स टावर और 252 मीटर (827 फीट) पैनोरमा टावर के रूप में स्काईस्क्रैपर बनाए गए हैं। एशिया से बाहर इस साल सबसे ऊंची इमारत के मामले में फिलाडेल्फिया का कॉमकास्ट टेक्नोलॉजी सेंटर 342 मीटर (1,121 फीट) है। यह शहर में सबसे ऊंचा स्काईस्क्रैपर है।
सीटीबीयूएच की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में दुनिया में 120 मीटर से 150 नए स्काईस्क्रैपर बनाए जा सकते हैं। हालांकि, उसकी वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि स्काईस्क्रैपर की बढ़ती संख्या से चीन की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, “अगर चीन के खिलाफ कोई टैरिफ लगाया जाता है तो वैश्विक निर्माण उद्योग, विशेष रूप से स्टील इम्पोर्ट के मामले में चीन को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।”
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Source: bhaskar international story