जंजीबार की खदीजा ड्रोन से नक्शा बनाकर बताती हैं कि रहने के लिए कौन सी जगह ठीक
दार-ए-सलाम (तंजानिया). अफ्रीका के ज्यादातर इलाके में सही नक्शे का न होना सहायता एजेंसियों और स्थानीय अफसरों के लिए समस्या रहा है। सही नक्शान होने से यहांलोगों को यह भी पता नहीं होता कि सुरक्षा के लिहाज से किस जगह घर बनाना ठीक रहेगा।तंजानिया के समुद्र तट पर बसे जंजीबार द्वीपसमूह की खदीजा अब्दुल्ला ने ड्रोन नक्शा का तरीका ईजाद किया है। ऐसा करके वह लोगों की समस्याएं हल कर रही हैं।
हिंद महासागर में स्थित जंजीबार एक अर्धस्वायत्तशासी क्षेत्र है। यहां तंजानिया की ही मुद्रा चलती है। खदीजा जंजीबार मैपिंग इंस्टीट्यूट की सदस्य हैं। 2016 में उन्होंने विचार दिया कि अफ्रीकी देश जिन भूस्थैतिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, उनसे कैसे निपटा जा सकता है। इसके बाद उन्हें देश ही नहीं विदेशों में भी पहचान मिली।
खदीजा के मुताबिक, ‘‘मैं कभी मैपिंग में करियर नहीं बनाना चाहती थी। लेकिन मैंने इसके लिए काफी मेहनत की। फोटो, डेटा जुटाने के लिए 24 घंटे काम किया। मेरा परिवार सोचता था कि आखिर मैं कर क्या रही हूं, लेकिन मेहनत रंग लाई।’’
ड्रोन फ्लाइट्स के पीछे जंजीबार के लैंड मिनिस्टर मुहम्मद जुमा मुहम्मद का योगदान है। पेशे से आर्किटेक्ट रहे जुमा नगरीय विकास को तरजीह देते हैं। उनका मानना है कि क्षेत्र में ज्यादा पर्यटक आएं, ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था में तेजी आए।
जुमा के मुताबिक, ‘‘अफ्रीका में इंसानों के लिए जगह बनाना कठिन है। आप जंजीबार की सड़कों पर निकल जाएं तो कारों से टकरा जाएंगे। हमें बच्चों के खेलने के मैदान औरबुजुर्गों-विकलांगों के लिए भी खाली जगह बनानी है। ड्रोन मैपिंग से बड़ा सामाजिक बदलाव आ सकता है।”
जुमा कहते हैं,‘‘हम उस चरण में जाना चाहते हैं, जहां अपने अस्पतालों को नक्शे पर प्लॉट कर सकें। एक ऐसी इमारत जिसके लिए हम सुरक्षा प्रमाणपत्र जारी कर सकें। नक्शेके जरिए हम लोगों को बता सकते हैं कि स्कूल कहां हैं। हमने संपत्ति पर कर लगाना भी शुरू कर सकते हैं क्योंकि अब हमारे पास इसकी बेहतर समझ है कि कौन क्या करता है।
विश्व बैंक में आपदाओं से निपटने की योजना तैयार करने वाले एडवर्ड एंडरसन कहते हैं कि ड्रोन से इस तरह सर्वे कर नक्शा बनानाकाफी सस्ता पड़ता है। सैटेलाइट से तस्वीरें लेने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ते हैं। बादलों के चलते भी सैटेलाइट से तस्वीरें साफ नहीं। विमान से एक बार तस्वीरें लेने में ही करोड़ों डॉलर का खर्च आता है।
जंजीबार मैपिंग ड्रोन से नक्शा बनाने का दुनिया का सबसे बड़ा प्रयास है।यह तंजानिया के दार-ए-सलाम के एक प्रोजेक्ट से प्रेरित है। इस प्रोजेक्ट को ब्रिटेन से फंड मिला था।
जंजीबार दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ रही आबादी वाले शहरों में से एक है। 2012 की जनगणना में 43 लाख जनसंख्या का अनुमान था, लेकिन मौजूदा वक्त में यहां 60 लाख से ज्यादा लोग रह रहे हैं।
जंजीबार में बस रहे नए लोगों के पास नक्शे की कोई जानकारी नहीं है। लिहाजा वे वहां रहने जा रहे हैं जहां न नालियां हैं और न ही कचरे के निपटान का इंतजाम।
दार-ए-सलाम के एक कम्युनिटलीडर ओसिलिगी लोसाई बताते हैं कि घर मशरूम की तरह बन गए हैं। तंजानिया में हर ढाई वर्ग किमी के इलाके में 70 हजार लोग रह रहे हैं। लोगों को जहां जगह मिली, वहां घर बना लेते हैं। लोगों ने नदी तट से सटकर भीघर बना लिए हैं। इन घरों केबाढ़ में खत्म हो जाने का खतरा है।
लोसाई के मुताबिक- विकास का पहला चरण नक्शा तैयार करना है। जब आप जंग में जाते हैं तो आपके पास दुश्मन के इलाके का नक्शाहोता है। बिना नक्शेके योजना बनाने और उसके कार्यान्यवयन में मुश्किल होगी।
संयुक्त राष्ट्र ने भी अफ्रीका में जनसंख्या, घर और अन्य सोशल डेटा के लिए नक्शा बनानाशुरू किया है ताकि आपदा की स्थिति में ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके। दार-ए-सलाम के अस्पतालों को विश्व बैंक के ड्रोन के जरिए यह पता लगाने में कामयाबी मिली है कि अमुक बीमारी के मरीज किस इलाके से आ रहे हैं।
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Source: bhaskar international story