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जबरन नसबंदी के पीड़ितों से सरकार ने माफी मांगी, मुआवजे का वादा भी किया - Update Every Time
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जबरन नसबंदी के पीड़ितों से सरकार ने माफी मांगी, मुआवजे का वादा भी किया



टोक्यो. जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने उन लोगों से माफी मांगी है जिनकीयूजेनिक्स कानून के तहत जबरन नसबंदी की गई था। यह कानून अब खत्म हो चुका है। लेकिन आबेने लोगों से कहा कि जिन भी हालातमें लोगों के साथ ज्यादती की गई, उनके लिए सरकार क्षमाप्रार्थी है। इसके साथ ही उन्होंने हर जीवित पीड़ित को बतौर हर्जाना 19.99 लाख रुपये देने का ऐलान किया। हालांकि, लोगने प्रतिव्यक्ति 1.87 करोड़ रुपएहर्जानेकी मांग रहे हैं।

  1. दूसरे विश्व युद्ध में 1945 में जापान पर अमेरिका ने जब परमाणु बम गिराया तो उसके बाद वहां के लोगों को कई गंभीर बीमारियों ने अपनी चपेट में ले लिया। भविष्य की पीढ़ी इन बीमारियों की जद में न आए, इसके लिए सरकार ने यूजेनिक्स कानून के तहत लोगों का जबरन बंध्याकरण शुरू कर दिया।

  2. सरकारी डेटा के मुताबिक,1948 से 1996 के बीच 16 हजार 500 लोगों का बंध्याकरण किया गया। 8 हजार लोग ऐसे भी थे, जिन्होंने दबाव मेंबंध्याकरण कराने का फैसला किया था। इनके अतिरिक्त 60 हजार महिलाएं ऐसी भी थीं, जिनका गर्भपात आनुवांशिक कारणों से करना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गयाकि यह सारी कवायद केवल इस वजह से की गई थी जिससे विकलांग और रोगीबच्चे पैदा न हों।

  3. एजेंसी का कहना है कि हर्जाने की रकम केवल उन जीवित लोगों को मिलेगी, जिन्होंने या तो अपनी मर्जी से बंध्याकरणकराया थाया फिर जिन्हें जबरन ऑपरेशन के जरिए बधिया बना दिया गया। सरकार ने उन लोगों का नसबंदी ऑपरेशन कराया था, जो या तो मानसिक बीमारियों से ग्रस्त थेया फिर जो आनुवांशिक बीमारियां लेकर पैदा हुए थे। सरकार का मानना था कि ऐसे लोगों के बच्चे देश पर केवल बोझ बनकर रह जाएंगे।

  4. जापान में हालात पिछले साल से विस्फोटक होने शुरू हुए, तब कुछ लोगों ने हर्जाने के लिए कोर्ट की शरण ली। इन लोगों की मांग थी कि हर व्यक्ति को 1.87 करोड़ रुपये हर्जाना दिया जाए। मियागी की अदालत इस मामले में अगले महीने फैसला सुना सकती है।

  5. हालांकि, 2001 में जब जापान की एक कोर्ट ने फैसला दिया कि रोगी लोगों को अलग करदूसरी जगह रखना गैरकानूनी है।तब जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुनिशिरो कोइजुमी ने माफी मांगी और ऐलान किया कि सरकार हर्जाने के मामलों में विरोध नहीं करेगी।

  6. जर्मनी और स्वीडन में भी कुछ इसी तरह के हालात थे, लेकिन वहां की सरकारों ने न केवल पीड़ितों से माफी मांगी, बल्कि उन्हें पर्याप्त हर्जाना भी दिया। इस वजह से वहां हालात इतने खराब नहीं हुए।

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      प्रतीकात्मक फोटो

      Source: bhaskar international story