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जहां बीता था गुरु रामदास जी का बचपन, उसी लाहौर में उनके नाम का गुरुघर बदहाल - Update Every Time
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जहां बीता था गुरु रामदास जी का बचपन, उसी लाहौर में उनके नाम का गुरुघर बदहाल



अमृतसर (विशाल शर्मा). पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के प्रमुख शहर लाहौरमें गुरुद्वारा श्री गुरु रामदास का बहुत बुरा हाल है। वह भी उस शहर में, जहां कभी उनका बचपन बीता था।यह सब देख पाकिस्तान पहुंचे शिराेमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव डॉ. रूप सिंह ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने वहां साफ-सफाई कराई। इस दौरान उन्होंने गुरुघर की बदहाली की वजह का भी जिक्र किया। उन्होंनेबताया कि गुरुघर का तंग गलियों में होना सबसे बड़ी परेशानी है, जिसके चलते यहां संगत पहुंचने से गुरेज करती है।

दरअसल शिराेमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव डॉ. रूप सिंह संगत के साथ महाराजा रणजीत सिंह की बरसी मनाने पाकिस्तान गए हुए हैं। इस खास दौरे के बीच जब लाहौर स्थित वह गुरुद्वारा श्री रामदास पहुंचे तो वहां की हालत देखकर आत्मा में कचोटन पैदा हो गई। उन्होंने न सिर्फ संगत से वहां साफ-सफाई कराई, बल्कि खुद भी सक्रिय रूप से शामिल हुए।

इस बारे में डॉ. रूप सिंह ने दैनिक भास्कर प्लस को बताया कि गुरुद्वारा श्री गुरु रामदास जी के परिसर में और आसपास पक्षियों की तादाद बहुत ज्यादा, जो वहां गंदगी फैलाते रहते हैं। इसके अलावा गुरुघर का तंग गलियों में स्थित होना भी इसकी बदहाली की खास वजह है।

उन्होंने बताया कि गुरुघर के तंग गलियों में स्थित होने की वजह से वहां संगत ने के बराबर पहुंचती है।उन्हें खुशी है कि वह यहां पहुंचकर सेवा कर रहे हैं। आगे भी जब भी भारत ये कोई जत्थायहां आया करेगा तोगुरुद्वारा श्री गुरु रामदास जी की सेवा जरूर किया करेगा, ऐसी व्यवस्था की जाएगी।

लाहौर में हुआ था चौथे गुरु श्री रामदास जी का जन्म

श्री गुरु राम दास जी का जन्म 9 अक्टूबर 1534 को चूना मंडी (अब लाहौर में है) में हुआ था। चौथे गुरु रामदास जी का बचपन का नाम जेठा जी था। जब वह महज 7 सात साल के थे तो पिता भाई हरि दास जी और माता अनूप देवी जी का साया सिर से उठ गया था। इसके बाद वह अपनी नानी के साथ रहने लगे। 12 साल की उम्र में श्री गुरु अमर दास जी से भेंट हुई तो गुरु जी को जेठा जी के साथ गहरा लगाव हो गया, जिसके चलते धार्मिक कार्यों में बढ़ने लगी। नानी के साथ गोइन्दवाल आ गए। यहां गुरुघर के निर्माण में सेवा की।इसके बाद श्री गुरु राम दास जी का विवाह बीबी भानो जी के साथ हुआ, जो गुरु अमरदास जी की पुत्री थीं। विवाह के उपरांत दोनों गुरु अमर दास जी के साथ ही रहते हुए लंगर घर की सेवा करते थे। दूर-दूर भारत में धर्म का प्रचार किया और अज्ञानता को मिटाया।

गुरु की उपाधि मिलने के बाद रखी थी अमृतसर की नींव, बनवाया सरोवर

भक्तिभाव देख गुरु अमर दास जी ने जेठा जी को 1 सितम्बर 1574 को गुरु की उपाधि दी और उनका नाम बदलकर गुरु राम दास रख दिया। गुरु की उपाधि मिलने के बाद गुरु राम दास जी ने ‘रामदासपुर’ की नींव रखी, जो बाद में अमृतसर के नाम से जाने जाना लगा। उन्होंने ही यहां पवित्र सरोवर का निर्माण करवाया।

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लाहौर में गुरुद्वारा श्री रामदास जी परिसर की सफाई करती संगत।


SGPC secretory Dr. Roop Singh and other Sikhs cleaned Gurudwar Shri Ramdas at Lahore


SGPC secretory Dr. Roop Singh and other Sikhs cleaned Gurudwar Shri Ramdas at Lahore

Source: bhaskar international story