ट्रम्प ने कहा- रूस और चीन पर दबाव बनाने के लिए परमाणु हथियारों का सहारा लेंगे
वॉशिंगटन. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को कहा कि रूस और चीन पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका अपने परमाणु हथियारों का सहारा भी लेगा। यह बात उन्होंने रूस पर 1987 की आईएनएफ संधि के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कही।
ट्रम्प ने कहा कि सोवियत संघ की धमकियों को देखते हुए 1987 में मीडियम रेंज की मिसाइल बैन की गई थीं। इस समझौते पर रूस ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अब उसने मीडियम रेंज की नई मिसाइल बना ली है। इस नई मिसाइल नोवेटर 9एम729 से रूस काफी कम समय में नाटो देशों पर हमला कर सकता है।
नाटो का कहना है कि जुलाई में रूस से इस संबंध में पूछताछ की गई थी, लेकिन वह जवाब नहीं दे पाया। हालांकि, रूस ने संधि के उल्लंघन का आरोप बेबुनियाद बताया। रूस का कहना है कि अगर अमेरिका ज्यादा हथियार बनाता है तो वह उसका जवाब जरूर देगा।
ट्रम्प ने कहा कि मेरी इस चेतावनी को आप चाहें रूस और चीन या किसी भी ऐसे देश से जोड़ सकते हैं, जो हथियारों का खेल खेलना चाहते हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने कहा कि अगर अमेरिका आईएनएफ संधि तोड़ता है तो परमाणु अप्रसार को लेकर काफी गंभीर स्थिति बनेगी।
रूस की सिक्योरिटी काउंसिल के सेक्रेटरी निकोलई पत्रुशेव ने कहा कि अगर आईएनएफ संधि पर सहमति बनती है तो क्रेमलिन अमेरिका के साथ काम करने के लिए तैयार हैं।बोल्टन के दौरे से पहले ही मॉस्को ने चेतावनी दी थी कि परमाणु हथियारों का संतुलन बनाने के लिए कदम उठाने होंगे।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा था कि इस मसले पर हमें अमेरिका का पक्ष सुनने की जरूरत है। शीत युद्ध के अंतिम वर्षों में सोवियत के आखिरी नेता मिखैल गोर्बाशेव और अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने आईएनएफ संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें जमीन से चलने वाली मीडियम रेंज की मिसाइल पर बैन लगाया गया था।
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Source: bhaskar international story