दुनिया का सबसे दूरस्थ गेस्ट हाउस इत्तोकोरतूर्मित कस्बे में; यहां न कार मिलेगी, न मोबाइल सिग्नल
कोपेनहेगन. ईस्ट ग्रीनलैंड में लोग रहते हैं, लेकिन यह अब भी आम सभ्यता से काफी दूर है। यहां नतो आपको कार मिलेगी और नही मोबाइल के सिग्नल। यहां का इत्तोकोरतूर्मित कस्बा समुद्र के किनारे बसा है। सर्दियों में इसका पानी जम जाता है।यहां एक गेस्ट हाउस भी है। यहां रहने वाले लोगों को उम्मीद है कि एक न एक दिन अन्य देशों से लोग यहां छुट्टियां मनाने जरूर आएंगे।
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ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है। यहां की आबादी का घनत्व एक व्यक्ति/वर्गकिमी है। पूरे द्वीप पर महज 57 हजार लोग रहते हैं। इसके करीब एक तिहाई (करीब 19 हजार) लोग राजधानी नूक में रहते हैं
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इत्तोकोरतूर्मित में सभी घर काफी रंगीन हैं। कस्बे के 1000 किमी के दायरे में कोई नहीं रहता।गेस्ट हाउस के अंदर ठंड से बचने के पर्याप्त इंतजाम हैं। यहां मनोरंजन के लिए 90 डीवीडी प्लेयर रखे गए हैं।
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यहां घरों को गर्म रखने के लिए एक सेंट्रल हीटिंग सिस्टम है। वाई-फाई सेंटर है। अमेजन से कोईऑर्डर बुक करें तोपार्सल इस द्वीप के करीब स्थितएक अन्य देश आइसलैंड से चार्टर प्लेन से भेजा जाता है। इसमें करीबदो महीने का वक्त लगता है। यहां का मुख्य भोजन रेनडियर और आर्कटिक-4 नाम की मछली है। ये लोग ध्रुवीय भालू की खाल को कोट और सील की खाल को दस्ताने की तरह इस्तेमाल करते हैं।
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यहां के बच्चे खेलने के लिए घरों से ज्यादा दूर नहीं जाते, क्योंकि उनका सामना ध्रुवीय भालू से होने की आशंका रहती है। लोगों की जीविका ध्रुवीय भालू और व्हेल के शिकार पर ही निर्भर करती है। सामान्य रूप से दिन का तापमान -25 डिग्री सेल्सियस होता है। ठंड में यह -60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
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ठंड में समुद्र का पानी जम जाता है। इसके बाद आपको इसकी बर्फीलीसतह में छेद करके ही शिकार करना पड़ता है। ग्रीनलैंड नेशनल पार्क धरती का सबसे बड़ा रिजर्व भी है। ठंड के दिनों में यहां से ध्रुवीय भालू खाने की खोज में बाहर आने लगते हैं, जिससे लोगों की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
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अब ग्रीनलैंड भी ग्लोबल वॉर्मिंग की मार झेल रहा है। यहां भी सर्दियां देर से आती हैं। गेस्ट हाउस की मैनेजर मेते बार्सेलासेन कहती हैं- जब मैं युवा थी तो समुद्र का पानी सितंबर में ही जम जाता था, लेकिन अब यह दो महीने देर (नवंबर) से जमने लगा है।
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मेते के मुताबिक- वक्त बदलने के साथ हमारा ध्रुवीय भालुओं से भी रिश्ता बदला है। युवावस्था के दौरान हम उनके पदचिह्नों से पता लगा लेते थे। अब उनसे बचाव के लिए बंदूक रखनी पड़ती है क्योंकि वे कभी भी शहर में आ जाते हैं। शुरुआत में तो भालू ग्रीनलैंड के इंसानों वाले इलाके में कभी-कभार ही दिखते थे।
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Source: bhaskar international story