दुनिया में पहला कार हमला 1927 में अमेरिकी स्कूल पर हुआ था, बाद में आईएस ने यही तरीका अपनाया
श्रीनगर. पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए। जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने 80 किलोग्राम विस्फोटक से भरी गाड़ी से सामने से आ रही सीआरपीएफ की बस में टक्कर मार दी। देश में विस्फोटक से भरी गाड़ी के जरिए हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा हमला है। इससे पहले अक्टूबर 2001 में कश्मीर विधानसभा पर भी इसी तरह का हमला हुआ था। इसमें 38 मौतें हुई थीं।
18 मई 1927 को अमेरिका के मिशिगन में बाथ स्कूल पर ट्रक के जरिए हमला किया गया था। उस वक्त स्कूल के ही एक कर्मचारी एंड्र्यू केहोए ने स्कूल प्रबंधन से नाराज होकर पहले अपनी पत्नी की हत्या की, बाद में एक ट्रक में विस्फोटक रखकर स्कूल को उड़ा दिया। हमले में 38 स्कूली बच्चे और 6 अन्य लोग मारे गए थे। हमले के बाद एंड्र्यू ने भी आत्महत्या कर ली थी। इसे गाड़ी के जरिए हमले का पहला मामला माना जाता है।
पिछले 90 वर्ष में दुनिया में कार बॉम्बिंग की कई घटनाएं हुई हैं। ऐसी सबसे ज्यादा घटनाएं सीरिया और अफगानिस्तान में हुई हैं। कार बॉम्बिंग को व्हीकल-बोर्न इम्प्रोवाइज्ड एक्प्लोसिव डिवाइस (वीबीआईईडी) कहा जाता है। इसमें किसी कार, ट्रक या अन्य गाड़ी में विस्फोटक भरा जाता है, फिर उससे विस्फोट कर दिया जाता है।
कार बॉम्बिंग दो तरह की होती है। पहली- जो किसी नेता, धार्मिक नेता या प्रमुख व्यक्ति की हत्या के इरादे से की जाती है। दूसरी- जिसमें किसी गाड़ी में विस्फोटक रख दिया जाता है और उसके जरिए किसी इमारत या बड़ी तादाद में लोगों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से हमला किया जाता है। दोनों तरह की कार बॉम्बिंग का मकसद आतंक फैलाना होता है।
2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा के मेन गेट से आतंकियों ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी टकरा दी थी। इसके कई वर्षों बाद इस तरह का चलन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) ने अपनाया। इसके लिए आईएसआईएस ने गाड़ियां मॉडिफाय भी कीं। इन गाड़ियों को मजबूत लोहे से बनाया गया ताकि ये सामने से आ रही गोलियों और आग को झेल सकें।
इराक और सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान आईएसआईएस ने इन गाड़ियां का जमकर इस्तेमाल किया। इनमें सुसाइड बॉम्बर बैठा होता है, जो गाड़ी चलाते-चलाते ही विस्फोट कर देता है। ऐसे हमलों में सुसाइड बॉम्बर की जान तो जाती ही है, आसपास भी काफी नुकसान होता है।
कार बॉम्बिंग का चलन मध्य-पूर्व में देखने को ज्यादा मिलता है। दरअसल, 1975 से 90 के दशक तक लेबनान में जबरदस्त गृह युद्ध हुआ, जिसमें इजरायल, सीरिया और फिलिस्तीनी संगठनों ने लेबनान को अपने झगड़े सुलझाने के लिए लड़ाई के मैदान के तौर पर इस्तेमाल किया।
गृह युद्ध के दौरान अक्टूबर 1983 में दो सुसाइड बॉम्बर ने ट्रक के जरिए लेबनान की राजधानी बेरुत स्थित एक बिल्डिंग पर हमला कर दिया था। इस बिल्डिंग में अमेरिका और फ्रांस के लोग ठहरे थे। इस हमले में करीब 350 लोग मारे गए थे। कहा जाता है कि लेबनान में गृह युद्ध के दौरान 3,500 से ज्यादा बार कार बॉम्बिंग के जरिए हमले किए थे।
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Source: bhaskar international story