दूसरे विश्व युद्ध में कोड तोड़कर लाखों जिंदगी बचाने वाले एलन ट्यूरिंग की तस्वीर 50 पाउंड के नोट पर दिखेगी
लंदन. ब्रिटेन के महान मैथेमेटिशियन, क्रैक कोड-ब्रेकर की तस्वीर देश के 50 पाउंड के नए नोट पर दिखेगी। बैंक ऑफ इंग्लैड के गवर्नर मार्क कार्ने ने सोमवार को इसकी घोषणा की। कार्ने ने कहा कि ट्यूरिंग कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक होने के साथ वॉर हीरो भी थे। दरअसल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने जर्मनी से नाजियों द्वारा भेजे गए एनिग्मा कोड तोड़ने में सफलता हासिल की थी। इसके लिए ट्यूरिन ने खास मशीन बनाई, जिससे युद्ध में इस्तेमाल होने वाली कोड लैंग्वेज को समझा जाने लगा।
ट्यूरिंग की जीवनी लिखने वाले एंड्रू हॉग्स के मुताबिक, पर्सनल कंप्यूटर के अविष्कार के लिए किसी एक का नाम नहीं लिया जा सकता, लेकिन उन लोगों में ट्यूरिंग का नाम प्रमुखता से लिया जाएगा। उन्होंने जर्मनी के एनिग्मा कोड को तोड़कर ब्रिटेन में लाखों जिंदगियां बचाने में मदद की थी। इन कोड का इस्तेमाल जर्मन सेना युद्ध के दौरान गोपनीय संदेशों की कोडिंग के लिए करती थी।
1930 की शुरुआत में ट्यूरिंग ने यूनिवर्सल मशीन का कंसेप्ट तैयार किया, जो किसी भी कंप्यूटेशनल प्रॉब्लम का हल निकाल सकती थी। उन्हें दौड़ना अच्छा लगता था। पहले विश्व युद्ध के दौरान कई बार मीटिंग में शामिल होने के लिए वे ब्लेशले से लंदन तक 64 किमी दौड़कर जाते थे।
उनकी जिंदगी का एक पहलू और भी था, जो कई लोगों को पसंद नहीं था। ट्यूरिन समलैंगिक थे। उस वक्त समलैंगिक होना गैरकानूनी था। उन्हें विक्टोरियन कानूनों के तहत दोषी माना गया था। ट्यूरिंग ने कारावास के बजाय नपुंसक बनना स्वीकार किया था। उनकी जिंदगी पर दो फिल्में, ब्रेकिंग द कोड और द इमिटेशन गेम भी बनीं।
1954 में जहर से उनकी मौत हो गई। कुछ ने इसे खुदकुशी माना, कई लोगों का मानना है कि उनकी मौत कोर्ट केस की वजह से हुई। यह विंडबना ही है कि कोड तोड़कर लाखों जानें बचाने वाले ट्यूरिंग की मौत की गुत्थी 65 साल बाद भी नहीं सुलझ पाई।
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Source: bhaskar international story