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नाजियों से लड़ने के लिए बर्फ का जहाज बनाना चाहता था ब्रिटेन, चर्चिल ने दी थी मंजूरी - Update Every Time
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नाजियों से लड़ने के लिए बर्फ का जहाज बनाना चाहता था ब्रिटेन, चर्चिल ने दी थी मंजूरी



लंदन. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन का खुफिया तरीके से बर्फ का युद्धपोत बनाने का प्लान था। उसकी 2000 फीट लंबा बर्फ का जहाज बनाने की योजना थी। 60 फीट का प्रोटोटाइप भी तैयार किया गया था। जंगी जहाज पानी में कभी न डूबे, इसी सोच के साथ यह योजना बनाई गई थी।तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने इस हब्बाकुक प्रोजेक्ट के लिए अनुमति भी दी थी। इस वॉरशिप को बनाने में कनाडा सरकार ने भी मदद की थी।

  1. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की यू-बोट्स ब्रिटिश जहाजों को काफी नुकसान पहुंचा रही थीं। इसी के चलते 1942 में ब्रिटिश साइंटिस्ट ज्योफ्री पाइक इस बात पर विचार कर रहे थे कि ऐसी किस तरकीब से युद्धपोत बनाए जाएं जिससे नाजियों के हमले का उन पर कोई असर न हो और पनडुब्बी की जद में भी न आएं।

  2. उन दिनों ब्रिटेन में लोहा समेत बिल्डिंग मटेरियल की सप्लाई काफी कम हो गई थी। ज्योफ्री इस नतीजे पर पहुंचे कि क्यों न आर्कटिक-अंटार्कटिका से बर्फ का एक बड़ा सा टुकड़ा लाकर उस पर लड़ाकू विमान उतारे जाएं। इंटरनेशनल आइस पेट्रोल के मुताबिक- आइसबर्ग को डुबाना आसान नहीं है। उस पर टॉरपीडो और बम का असर नहीं होता।

  3. मामले के शोध से जुड़ीं और मैरीलैंड स्थित सेंट मेरीज कॉलेज में प्रोफेसर सूसन लेंगले के मुताबिक- पाइक का विचार था कि युद्ध जीतने में बर्फ का रणनीतिक तौर पर इस्तेमाल हो सकता है। चर्चिल ने उनके आइडिया को हरी झंडी भी दे दी। इसी आइडिए पर ब्रिटेन ने दिसंबर 1942 में एक वॉरशिप एचएमएस हब्बाकुक के निर्माण को मंजूरी दे दी।

  4. ब्रिटिश सरकार ने सबसे पहले शिप का प्रोटोटाइप बनाने को कहा। 1943 में 60 फीट की प्रोटोटाइप नौका तैयार की गई। इसमें दीवारें और छतें लकड़ी की थीं। साथ ही रेफ्रिजरेशन पाइप लगे हुए थे। नौका में झील से निकाली गई बर्फ का इस्तेमाल किया गया था।

  5. युद्धपोत बनाने के लिए कनाडा ने ब्रिटेन की मदद की। युद्धपोत में लगने वाली बर्फ भी कनाडा से ही ली गई। कनाडा के अलबर्टा स्थित लेक पेट्रीशिया में प्रोटोटाइप नौका का परीक्षण किया गया।

  6. योजना के मुताबिक- युद्धपोत 2 हजार फीट लंबा और 200 फीट चौड़ा होना था। 20 लाख टन वजनी इस पोत पर 300 लड़ाकू विमान उतारे जाने थे। इसकी गति 7 नॉट्स (8 मील) प्रति घंटा होती। बर्फ न पिघले, इसके लिए जहाज में रेफ्रिजरेशन सिस्टम भी लगाया जाना था।

  7. लेंगले के मुताबिक- बर्फ के बड़े टुकड़े (आइसबर्ग) पर युद्धपोत बनाने में एक समस्या का सामना करना पड़ा। युद्धपोत पर लड़ाकू विमान लैंड कराने वाला तल पानी से करीब 50 फीट ऊंचा होता है। जबकि आइसबर्ग 90% पानी में डूबा होता है यानी आइसबर्ग 500 फीट पानी के अंदर रहेगा। इसके लिए हल निकाला गया कि फ्लाइट डेक किसी अन्य मटेरियल से तैयार किया जाएगा।

  8. प्रोटोटाइप नौका परीक्षण के दौरान पानी में आसानी से नहीं चली। कुछ पाइप टूट-फूट गए, लिहाजा कूलिंग सिस्टम ने काम नहीं किया। इसके चलते बर्फ जमी रह पाएगी या नहीं, इस पर संदेह खड़े हुए। परीक्षण से यह तो साबित हो गया कि ब्रिटेन बर्फ का जहाज बनाना चाहता था लेकिन 1943 के मध्य तक योजना खत्म हो गई।

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      Britain secret attempt to build an ice warship


      Britain secret attempt to build an ice warship

      Source: bhaskar international story