पर्यावरणविदों की चेतावनी के बावजूद विश्व का पहला तैरता न्यूक्लियर रिएक्टर आर्कटिक भेजा गया
मॉस्को.पर्यावरणविदों की चेतावनी के बावजूद रूस ने शुक्रवार को विश्व का पहला तैरता हुआ न्यूक्लियरपॉवर स्टेशन (परमाणु संयंत्र) लॉन्च किया और उसे पूरे आर्कटिक क्षेत्र की ऐतिहासिक यात्रा पर भेज दिया। न्यूक्लियर ईंधन से लदा हुआ एकेडमिक लोमोनोसोव नामक प्लांट मुरमैन्स्क के आर्कटिक बंदरगाह से निकलकर 5000 किमी की दूरी तय करते हुए उत्तर-पूर्वी साइबेरिया पहुंचेगा।
इसका इस्तेमाल आर्कटिक क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन्स के एक्सप्लोरेशन में किया जाएगा। न्यूक्लियर एजेंसी रोसाटोम ने कहा कि इस रिएक्टर को एक ऐसे जगह पर बनाने का फैसला लिया गया है जो पूरे साल बर्फ से ढंका रहता है।इस प्रकार के रिएक्टरों को विदेश को भी बेचने की योजना है।
पर्यावरणविदों ने इस रिएक्टर को लेकर चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कियह प्लांट एक प्रकार का ‘बर्फ पर चेर्नोबिल’ और ‘न्यूक्लियर टाइटेनिक’ जैसी प्रतीत होता है।यह रिएक्टर प्लांट करीब चार से छह हफ्तों तक आर्कटिक क्षेत्र की यात्रा करेगा।साईबेरियन क्षेत्र में स्थित चुकोत्का केपेवेक शहर पहुंचने पर यह स्थानीय न्यूक्लियर प्लांट का स्थान लेगा औरवहां स्थित कोयले के प्लांट को बंद कर दिया जाएगा।
ग्रीनपीस रूस के एनर्जी सेक्टर के प्रमुख राशिद अलीमोव ने कहा कि पर्यावरण समूह 1990 के दशक से ही फ्लोटिंग रिएक्टर के विचार को खारिज करता रहा है। उन्होंने कहा, “कोई भी न्यूक्लियर पावर प्लांट रेडियोएक्टिव कचरे को निकालता है और इससे दुर्घटना भी हो सकती है। एकेडमिक लोमोनोसोव को इसके अतिरिक्त तूफानों से भी खतरा होने होने की आशंका है।”
रोसटोम ने बताया कि इससे निकलने वाले कचरे को जहाज पर ही रखने की योजना है। अलीमोव ने कहा, “इसके ईंधन से किसी भी प्रकार की दुर्घटना होती है तो इससे आर्कटिक के पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचेगा। इस क्षेत्र में न्यूक्लियर कचरे से निपटने के लिए कोई इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है।”
इस जहाज का वजन 21,000 टन है।इसमें दो रिएक्टर लगे हैं। प्रत्येक रिएक्टर की क्षमता 35 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की है। इस पर कुल 69 क्रू सदस्य होंगे। यह साढ़े छह से साढ़े आठ किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी।इस प्लांट के इस साल के आखिर में शुरू होने की संभावना है।
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Source: bhaskar international story