पहली बार स्पेस स्टेशन में बिस्किट बनाने की तैयारी, इसके लिए स्पेशल ओवन भेजा गया
वॉशिंगटन. चंद्रमा पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा था कि यह मनुष्य के लिए भले ही छोटा कदम हो, लेकिन मानव जाति के लिए विशाल छलांग है। अंतरिक्ष स्टेशन का इस्तेमाल अब तक केवलवैज्ञानिक खोजों के लिए किया जाता रहा है। अब अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में बने फ्रेश बिस्किट भी खा सकेंगे। इसके लिए एक स्पेशल ओवन भी अंतरिक्ष में भेजा गया है।
अंतरिक्ष में बिस्किट बनाने की तैयारी शुरू हो गई है। एक स्पेशल ओवन स्पेस स्टेशन पर भेजा जा चुका है। अंतरिक्ष यात्री अब तक अपने साथ डीहाइड्रेटेड या पकाहुआभोजन ले जाते थे। अब एस्ट्रोनॉट्स ताजे बिस्किट का आनंद ले सकेंगे। अंतरिक्ष यात्री 2019 खत्म होने से पहले स्पेस में बने बिस्किट खा सकेंगे।
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइक मैसिमिनो (56) ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह जानना बेहद रोमांचक होगा कि माइक्रोग्रेविटी (करीब शून्य गुरुत्व) में बेकिंग (सेंकने की प्रक्रिया) कैसे काम करती है। इस विशेष ओवन को दो कंपनियों ‘जीरो जी किचेन’ और ‘डबलट्री बॉय हिल्टन’ ने मिलकर इसे बनाया है।
स्पेस ओवन एक बेलनाकार कंटेनर है, जिसेअंतरिक्ष स्टेशन कीमाइक्रोग्रेविटीमें खाने के चीजों को सेंकनेके लिए बनाया गया है। वहां पृथ्वीजैसावातावरण नहींहै, वहां कृत्रिम वातावरण बनाया जाता है। यह जानना रोमांचक होगा कि माइक्रोग्रेविटी में बिस्किट कैसे बनाया जाएगा।
मैसिमिनो ने कहा- इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन में बनेबिस्किट खा सकेंगे। एस्ट्रोनॉट्स को बिस्किट घर की याद दिलाएगा। अंतरिक्ष में फ्रेश बिस्किट खाना एक बड़ा बदलाव होगा। मुझे नहीं पता कि कितने कुकीज एक बार में बनेंगे, लेकिन फ्रेशकुकीज की महक बेहद रोमांचक होगी।
उन्होंने कहा कि यह खोज केवल अंतरिक्ष यात्रियों के आनंद के लिए नहीं है। स्पेस खासकर विज्ञान के प्रयोग के लिए है। अभी तक कोई नहीं जानता कि माइक्रोग्रेविटी में इसे कैसे सेंकना है। यह कोई नहीं जानता कि इसका आकार और स्वाद कैसा होगा?यह धरती पर बने कुकीज से ज्यादा गोलाकार भी हो सकता है।
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Source: bhaskar international story