पिता शूमाकर के नक्शेकदम पर मिक, मंगलवार को पहली बार फॉर्मूला-1 रेस में उतरेंगे
मनामा. फॉर्मूला वन के दिग्गज माइकल शूमाकर (50) के बेटे मिक (20) ने पिता के पदचिह्नों पर चलना शुरू कर दिया है। बहरीन में मिक अपनी पहली फॉर्मूला वन (एफ-1) रेस की तैयारियों में जुटे हैं। इसके लिए उन्होंने फरारी की टेस्ट ड्राइव ली। मंगलवार को वह एफ-1 में उतरेंगे। शुक्रवार को ही मिक ने फॉर्मूला-2 (एफ-2) रेस में डेब्यू किया था।
मिकके कार चलाने पर उनकी मां कोरिना और फरारी ड्राइविंग एकेडमीका स्टाफ पूरी तरह नजर रख रहा है। शुक्रवार को जब मिक की एफ-2प्रेमा टीम की कार रेसिंग सर्कल में दौड़ रही थी तो कोरिना उसे देख रहीथीं।
माइकल के फैंस बेसब्री से उनके बेटे के एफ-1 रेसिंग सर्कल में आने काइंतजार कर रहे हैं। मिक के मुताबिक- रेस में उतरना निश्चित रूप सेमेरे लिए एक भावुक पल होगा। मुझे भरोसा है कि दबाव को हैंडल करलूंगा। रेस के लिए मैं 100% तैयार हूं।
एक रेसर के रूप में पिता का मिक पर क्या असर रहा, इस पर वेकहते हैं, “वे मेरे जीवन का हिस्सा हैं। मैं उनका बेटा हूं। वह हमेशा एफ-1 में सर्वश्रेष्ठ रहे। इससे बड़ी कोई बात नहीं हो सकती कि वे मेरे पिता हैं। मैं उनसे कार्टिंग को लेकर बात करता हूं। उनके सुझाव जबर्दस्त होते हैं।”
माइकल शूमाकर एफ-1 के इतिहास में दुनिया के अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं जो 7 बार चैम्पियन रहे। इसमें से 5 बार (2000-04) उन्होंने यह रेस लगातार जीती। 2013 में आल्प्स पर्वत पर स्कीइंग के दौरान वह एक चट्टान से टकरा गए थे, जिसके बाद से उनके शरीर के बाएं अंग ने काम करना बंद कर दिया।
दुर्घटना के बाद डॉक्टरों ने शूमाकर के मस्तिष्क से खून के थक्के निकाल दिए थे। कुछ थक्के निकाले नहीं जा सके थे क्योंकि वे काफी अंदर थे। फिलहाल शूमाकर की हालत स्थिर है। सितंबर 2014 में उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। अब जेनेवा झील (स्विट्जरलैंड) के पास स्थित घर में डॉक्टर उनकी देखभाल में जुटे हैं।
एफ-1 की दुनिया में यह पहली बार नहीं है जब बेटा, पिता के नक्शेकदम पर चल रहा हो। लेकिन दोनों का कामयाब होना काफी कम देखा गया है। केके रोसबर्ग ने 1982 में एफ-1 जीती तो 2016 में उनके बेटे निको रोसबर्ग ने एफ-1 टाइटल अपने नाम किया। निको मर्सडीज के ड्राइवर थे। ग्राहम हिल 1962 और 1968 में चैम्पियनशिप जीती तो उनका बेटा डैमन 1996 में विजेता बना।
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Source: bhaskar international story