Deprecated: Creation of dynamic property InsertPostAds::$plugin is deprecated in /home/u782805645/domains/updateeverytime.com/public_html/wp-content/plugins/insert-post-ads/insert-post-ads.php on line 38
फोर्ब्स से अवॉर्ड पाने वाला पत्रकार 11 साल से छाप रहा था फेक न्यूज, खुलासा होने पर सम्मान लौटाए - Update Every Time
Deprecated: Creation of dynamic property InsertPostAds::$settings is deprecated in /home/u782805645/domains/updateeverytime.com/public_html/wp-content/plugins/insert-post-ads/insert-post-ads.php on line 427
Uncategorized

फोर्ब्स से अवॉर्ड पाने वाला पत्रकार 11 साल से छाप रहा था फेक न्यूज, खुलासा होने पर सम्मान लौटाए



बर्लिन. जर्मनी की एक प्रतिष्ठित मैगजीन देर स्पीगल ने खुलासा किया है कि उसका स्टार रिपोर्टर क्लास रिलोशस 11 साल से फेक न्यूज छाप रहा था। क्लास को नौकरी से निकाल दिया गया है। बीते सालों में 33 साल के क्लास को कई पुरस्कार मिल चुके थे। खुलासे के बाद क्लास ने ये पुरस्कार लौटा दिए हैं।

  1. क्लास को सीएनएन का जर्नलिस्ट ऑफ द इयर, यूरोपियन प्रेस प्राइज और फोर्ब्स की 30 अंडर 30- यूरोप: मीडिया अवॉर्ड से नवाजा गया था। जर्मनी के मीडिया सर्कल और लोगों के बीच भी उसका काफी सम्मान था।

  2. देर स्पीगल के एडिटर इन चीफ रहे उलरिच फिचनर के मुताबिक- किसी रिपोर्टर का ऐसा करना दुखद और धक्का पहुंचाने वाला है। पत्रिका के 70 साल के इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ। मैगजीन ने हाल ही में स्लोगन दिया था- सच से नहीं डरेंगे। गुरुवार को एक आर्टिकल में लिखा- अब हम पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।

  3. क्लास रिलोशस ने अपने 11 साल करियर में स्पीगल के लिए 55 और उससे जुड़े ऑनलाइन पब्लिकेशन के लिए 3 स्टोरीज कीं। वह अन्य प्रमुख मैगजीनों मसलन सिसरो, फाइनेंशियल टाइम्स ड्यूशलैंड, वेल्ट और फ्रैंकफर्टर एल्गेमाइन सोंटागजीटंग के लिए भी लिखता था।

  4. मैगजीन के मुताबिक- क्लास की ज्यादातर स्टोरी या तो सनसनी फैलाने वालीं या पूरी तरह से गलत जानकारियों पर आधारित होती थीं। ये स्टोरीज उसे गुआंतानमो जेल के कैदियों, अमेरिका-मैक्सिको बॉर्डर वॉल के प्रदर्शनकारियों से मिली थीं। ज्यादातर कहानियां झूठी थीं।

  5. क्लास ने भी माना कि कई स्टोरीज उसने अपने हिसाब से गढ़ी थीं क्योंकि उसे नाकाम होने का डर था। रिलोशस के बॉस कहते थे कि वह अपने सहकर्मियों के साथ कामयाबी का जमकर जश्न मनाता था।

  6. फेक न्यूज स्कैंडल काफी कम रहे हैं। 1981 में पुलिट्जर कमेटी ने वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्टर जेनेट कूक को फीचर राइटिंग प्राइज नहीं दिया था। कूक की स्टोरी गलत जानकारी पर आधारित पाई गई थी। वहीं, 2003 में न्यूयॉर्क टाइम्स के रिपोर्टर जेसन ब्लेयर को इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उसके खिलाफ पत्रकारिता से जुड़े घोटालों की सूचना मिली थी।

  7. जर्मनी के दक्षिणपंथी दल आल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) पार्टी ने कहा- “2014 में सीएनएन जर्नलिस्ट ऑफ द इयर रहा व्यक्ति ने फेक न्यूज छापी। #टीम ट्रम्प मजे कीजिए।” पार्टी की हीडेलबर्ग स्थित शाखा ने बयान दिया कि देर स्पीगल मैगजीन की अन्य स्टोरीज भी गलत हो सकती हैं। बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है।

  8. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के के रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म के लुकास ग्रेव्ज ने कहा- यह वह मौका है जब रीडर का भरोसा किसी जर्नलिस्ट के लिए सबसे बड़ी चीज होती है। राजनेता या फिर समाज के अंतिम व्यक्ति को निशाना बनाना सबसे आसान होता है।

  9. देर स्पीगल ने कहा कि मामले की जांच एक आयोग से कराई जाएगी। साथ ही कोशिश रहेगी कि मैगजीन में भविष्य में कोई फेक न्यूज प्रकाशित ही न हो।

    1. Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today


      German reporter admits fabricating coverage at leading news magazine

      Source: bhaskar international story