बिजली आपूर्ति दुरुस्त करने 8 हजार फीट की ऊंचाई से कराई गई कृत्रिम बारिश
कोलंबो. गर्मी के सीजन में आम जन को बिजली संकट न झेलना पड़े, इसलिए श्रीलंका की सरकार ने शुक्रवार को कृत्रिम बारिश का सहारा लिया। वायुसेना के विमान ने 8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित बादलों में केमिकल का छिड़काव किया। ये बादल उस जलस्रोत के ठीक ऊपर थे, जिसका इस्तेमाल हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है।
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ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता उशांथा वर्नाकुमारा ने कहा कि वायुसेना के विमान से 45 मिनट तक कृत्रिम बारिश की गई। जलस्रोत का स्तर गर्मी की वजह से लगातार घट रहा है। इसे ऊंचा उठाने के लिए कृत्रिम बारिश का सहारा लिया गया।
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श्रीलंका में हाइड्रोइलेक्ट्रिक ऊर्जा के उत्पादन का संयंत्र एक पहाड़ी क्षेत्र में स्थापित किया गया है। इस पहाड़ी इलाके को चाय उत्पादन क्षेत्र के तौर पर भी जाना जाता है।
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श्रीलंका में गर्मी के मौसम में बिजली के कट लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पिछले सप्ताह के दौरान देश के कई हिस्सों में एक से दो घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित रही है। वर्नाकुमारा का कहना है कि गर्मी में बिजली की मांग बढ़ेगी। इस वजह से उत्पादन क्षमता को दुरुस्त किया जा रहा है।
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कृत्रिम बारिश की शुरुआत पहली बार अमेरिका से हुई। 1902 में हेटफील्ड नाम के युवक ने दावा किया था कि वह कृत्रिम बारिश करा सकता है। इसके लिए उसने 23 केमिकल्स का मिश्रण तैयार किया। 1904 में हेटफील्ड और उसके भाई पॉल ने ला क्रेसेंटा में एक टॉवर तैयार किया।
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टॉवर पर चढ़कर केमिकल्स के मिश्रण का हवा में छिड़काव किया। उसका प्रयोग सफल रहा। हालांकि, मौसम विभाग ने कृत्रिम बारिश की इस थ्योरी को खारिज कर दिया। महकमे का कहना था कि जिस बारिश को कृत्रिम बताया जा रहा है, वह पास में आए तूफान की वजह से हुई थी। लेकिन उसके बाद भी हेटफील्ड ने अपने प्रयोग से कई बार कृत्रिम बारिश कराई थी।
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Source: bhaskar international story