मोदी सरकार के दबाव में झुक गए पाक पीएम इमरान, अब पाकिस्तान में भारत पर खिलाफ होने वाले इस काम पर लगाई रोक
इंटरनेशनल डेस्क, इस्लामाबाद।खालिस्तान समर्थक संगठन'सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे)' ने दावा किया है कि पाकिस्तान सरकार ने मोदी सरकार के इशारे पर अपनी धरती पर 'खालिस्तान रेफरेंडम टीम 2020' के पंजीकरण पर प्रतिबंध लगा दिया है। एसएफजे के कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नून ने सोमवार को आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में अफसरों ने संगठन के कार्यकर्ताओं को हसन अब्दुल के गुरुद्वारा पांजा साहिब में खालिस्तान जनमत संग्रह अभियान के पोस्टर और बैनर लगाने से रोक दिया था। बता दें कि पांजा साहिब पर भारत के हजारों सिख खालसा सजना दिवस के 320वें साल का जश्न मनाने के लिए जा रहे थे।
खालिस्तान की मांग कर रहा है ये संगठन
– शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के तत्वावधान में 389 भारतीय भक्तों का एक 'जत्था' 21 अप्रैल तक बैसाखी के अवसर पर वहां के विभिन्न गुरुद्वारों में प्रार्थना करने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर हैं। सिख्स फॉर जस्टिस संगठन ने भारतीय तीर्थयात्रियों की आपत्ति पर उनकी यात्रा के दौरान पिछले साल पाकिस्तान में सिख तीर्थ स्थलों पर अपनी अलगाववादी गतिविधियों के होर्डिंग्स और बैनर लगाए थे।
– पहले "प्रो-खालिस्तान कार्यकर्ताओं को आधिकारिक तौर पर पाक सरकार की ओर से पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष का पंजीकरण शुरू करने के लिए आमंत्रित किया गया था। उसके बाद उत्तरी अमेरिका और यूरोप के खालिस्तान कार्यकर्ता अप्रैल के पहले सप्ताह में पाकिस्तान पहुंचे थे। लेकिन यहां उनकाे पांजा साहिब में खालिस्तान के समर्थन में पोस्टर लगाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
– बता दें कि एसएफजे एक अलगाववादी समूह है, जो एक अलग सिख के लिए अलग देश खालिस्तान की मांग कर रहा है। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एसएफजे की आलोचना करते हुए कहा कि इस संगठन को "आईएसआई का समर्थन मिला हुआ है।
मोदी के आगे झुक गए इमरान और बाजवा
पन्नुन ने कहा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा खुद को सिख समुदाय के मसीहा के तौर पर दर्शाते हैं। हालांकि, दोनों ने मोदी सरकार के दबाव में झुककर हमारा अभियान बैन कर दिया।“ पन्नुन ने कहा कि भारत की तरफ से युद्ध की धमकियों के बीच उन्होंने पाकिस्तान को समर्थन जारी रखा, लेकिन पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई ने सिख समुदाय के आंदोलन को कुचल दिया।
क्या है रेफरेंडम 2020?
अलगाववादी सिख संगठन अलग खालिस्तान की मांग को लेकर ‘रेफरेंडम 2020’ (जनमत संग्रह 2020) का प्रचार कर रहे हैं। यह रेफरेंडम लंदन में 12 अगस्त को होना है। अलगाववादी सिख संगठन, मतदान के रेफरेंडम के नतीजों को संयुक्त राष्ट्र के पास लेकर जाने की रणनीति बना रहे हैं। इसके जरिए वह एक अलग देश की मांग को मजबूत करना चाहते हैं।
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Source: bhaskar international story