राष्ट्रपति चुनाव में पहली हिंदू उम्मीदवार बनने के लिए भारतवंशियों से बात करेंगी तुलसी
वॉशिंगटन. अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपनी उम्मीदवारी पुख्ता करने के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। तुलसी देशभर के भारतीय-अमेरिकियों से इस बारे में उनके विचार जानना चाहती हैं कि वे राष्ट्रपति चुनाव में किसी हिंदू उम्मीदवार के चुनाव लड़ने की संभावना के बारे में क्या सोचते हैं?
37 साल की तुलसी हवाई से चार बार से डेमोक्रेट सांसद हैं। वे हर बार रिकॉर्ड वोटों से जीती हैं। राजनीति में आने से पहले वे अमेरिकी सेना की ओर से 12 महीने के लिए इराक में तैनात रह चुकी हैं। अगर वे अपनी उम्मीदवारी का ऐलान करती हैं तो ऐसा पहली बार हाेगा जब किसी हिंदू को अमेरिका के किसी दल की तरफ से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवारी मिलेगी। अगर वे चुनी जाती हैं तो अमेरिका की पहली महिला और सबसे युवा राष्ट्रपति बन सकती हैं।
भारतीय मूल के लोगों को ईमेल भेजे गए
पिछले गुरुवार को कुछ हिंदू-अमेरिकियों ने भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख व्यक्तियों को ईमेल भेजकर कहा कि वे किसी हिंदू के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की संभावनाओं के बारे में अपनी राय दें। साथ ही वे ये भी बताएं कि अगर अमेरिकी इतिहास में पहली बार ऐसा होता है तो वहां रह रहे भारतीय मूल के लोगों पर इसका क्या असर पड़ सकता है? रविवार को तुलसी भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रमुख सदस्यों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल कर सकती हैं। इसमें वे खुद की हिंदू नेता और एक महिला नेता के रूप में संभावित उम्मीदवारी पर चर्चा कर सकती हैं। वे चुनाव लड़ने की स्थिति में फंड जुटाने के तरीकों पर भी बातचीत कर सकती हैं।
तुलसी हिंदू हैं, लेकिन भारतीय मूल की नहीं
तुलसी गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हैं। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपना लिया था। तुलसी जब दो साल की थीं, तब वे हवाई आकर रहने लगीं। बाद में उन्होंने भी हिंदू धर्म अपना लिया। 2012 में वे पहली बार हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के लिए चुनी गईं। तुलसी पहली अमेरिकी सांसद थीं, जिन्होंने भगवत गीता के नाम पर शपथ ली थी। तुलसी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के बीच लोकप्रिय हैं। यहूदी अमेरिकियों के बाद भारतीय-अमेरिकी समुदाय यूएस का सबसे प्रभावशाली और अमीर समुदाय माना जाता है।
दावेदारों में कमला हैरिस शामिल
2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प को टक्कर देने के लिए डेमाेक्रेट उम्मीदवार बनना तुलसी के लिएआसान नहीं होगा। डेमोक्रेटिक पार्टी में उनकी तरह 10 से ज्यादा नेता उम्मीदवार बनने की दौड़ में हैं। इनमें भारतीय मूल की कमला हैरिस (54) भी शामिल हैं। पार्टी पर उनकी तुलसी से ज्यादा पकड़ मानी जाती है। कमला ईसाई हैं। उनकी मां तमिल थीं।
हिलेरी भी दोबारा बन सकती हैं उम्मीदवार
हिलेरी क्लिंटन भी एक बार फिर उम्मीदवार बन सकती है। वे 2016 में ट्रम्प से चुनाव हार गई थीं। बर्नी सैंडर्स और एलिजाबेथ वॉरेन को भी दावेदार माना जा रहा है। उम्मीदवार चुनने के लिए 2020 की शुरुआत में प्रायमरी स्टेज शुरू होगी जो छह महीने तक चलेगी।
भारतीय मूल की निक्की हैली भी दौड़ में थीं
अमेरिका की एक और भारतीय मूल की नेता निक्की हैली (46) भी अगला राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की दौड़ में थीं। उन्होंने हाल ही में यूएन में अमेरिकी एंबेसडर पद छोड़ने की घोषणा की थी। इसी के साथ यह भी साफ कर दिया था कि वे 2020 का चुनाव नहीं लड़ेंगी और ट्रम्प की दोबारा उम्मीदवारी का समर्थन करेंगी। हालांकि, अमेरिकी मीडिया निक्की हैली को 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार मान रहा है। निक्की का मूल नाम निम्रत रंधावा है। वे भी ईसाई धर्म अपना चुकी हैं।
पिछली बार दावेदारी से हट गए थे बॉबी जिंदल
लुसियाना के दो बार गवर्नर रहे बॉबी जिंदल पिछली बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की दौड़ में थे। लेकिन ट्रम्प की दावेदारी पुख्ता होने के बाद वे पीछे हट गए थे। बॉबी जिंदल भारतीय मूल के हैं और ईसाई धर्म अपना चुके हैं।
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Source: bhaskar international story