वाइन से दौड़ती है प्रिंस चार्ल्स की कार, कुकिंग ऑयल से चलती है महारानी की शाही ट्रेन
लंदन. ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस चार्ल्स की 50 साल पुरानी कार पेट्रोल, डीजल या गैस की बजायइंग्लैंड की मशहूर व्हाइट वाइन से चलती है।चार्ल्स, लग्जरी कारों के जितने बड़े शौकीन हैं, उतने ही पर्यावरण प्रेमी भी। इसी मकसद से उन्होंने अपनी एस्टन मार्टिन कार में खास बदलाव करवाए हैं, ताकि वह वाइन से चल सके और कम से कम प्रदूषणहो।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर काफी मुखर रहने वाले चार्ल्स ने न सिर्फ अपनी कार, बल्कि राजघराने की शाही ट्रेन को भी ईको-फ्रेंडली बनाया है। उनकी शाही ट्रेन को चलाने में कुकिंग ऑयल इस्तेमाल होता है। आज प्रिंस चार्ल्स का 70वां जन्मदिन है। इस मौके पर बन रही एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म के दौरान प्रिंस चार्ल्स ने कार और ट्रेन के साथ किए इन प्रयोगों से पर्दा उठाया।
महारानी ने प्रिंस चार्ल्स को 1969 में उनके 21वें जन्मदिन परलग्जरी कार कंपनी एस्टन मार्टिन का डीबी-5 वोलांत मॉडल तोहफे में दिया था। यह कार प्रिंस अभी भी चलाते हैं। उनके मुताबिक दुनिया में जब बायोफ्यूल टेक्नोलॉजी आई तो इसने मेरा ध्यान खींचा। 2008 में मैंने एस्टन मार्टिन के इंजीनियरों से इस कार को पूरी तरह से बायोफ्यूल से चलने लायक बनाने को कहा।
चार्ल्स बताते हैं कि शुरू में इंजीनियरों ने यह कहते हुए मुझे काफी समझाने-मनाने की कोशिश की कि कार को बायोफ्यूल से चलाने लायक बनाने में वह खराब भी हो सकती है। लेकिन मैंने उन्हें यह कहकर चुप करा दिया कि अगर कंपनी के इंजीनियर ऐसा नहीं कर सके तो मैं यह कार नहीं चलाऊंगा।
इसके बाद इंजीनियरों ने रिसर्च की और पता चला कि व्हाइट वाइन को बतौर बायोफ्यूल इस्तेमाल कर इसे ड्राइव किया जा सकता है। प्रिंस चार्ल्स के मुताबिक अब यह कार पहले से कम प्रदूषण फैलाती है और इसकी परफॉर्मेंस भी बेहतर हो गई है।
ऐसा नहीं है कि वाइन की बोतल कार के पेट्रोल टैंक में डाली और काम हो गया। एस्टन मार्टिन के इंजीनियरों के मुताबिक प्रिंस चार्ल्स की यह कार एक खास मिश्रण वाले E-85 फ्यूल से चलती है। इस फ्यूल में 85% तक व्हाइट वाइन और 15% पेट्रोल होता है। इस खास फ्यूल को बायोएथनॉल भी कहा जाता है। चार्ल्स की पसंदीदा कार के फ्यूल और कम्बश्चन सिस्टम को अपग्रेड कर उसे बायोएथनॉल से चलने लायक बनाया गया है।
प्रिंस चार्ल्स अपनी कार से पहले राजघराने की शाही ट्रेन रॉयल सोवरिन को ईको-फ्रेंडली बना चुके हैं। इस ट्रेन से होने वाले प्रदूषण को घटाने के लिए चार्ल्स ने काफी मेहनत की और ट्रेन ऑपरेटर और लोकोमोटिव इंजीनियरों के साथ बारीकी से काम किया।
100% बायोफ्यूल से चलने वाली इस ट्रेन में खाना बनाने के बाद बच गए तेल का इस्तेमाल होता है। विदेशों में एक बार खाना बनाने के बाद बचे हुए तेल को इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बायोफ्यूल के इस्तेमाल से इस ट्रेन से होने वाला कार्बन उत्सर्जन 20% तक घट गया।
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Source: bhaskar international story