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वॉट्सऐप के जरिए लिखी किताब के लिए कैदी को मिला सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार - Update Every Time
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वॉट्सऐप के जरिए लिखी किताब के लिए कैदी को मिला सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार



सिडनी. ऑस्ट्रेलिया सरकार की हिरासत में रहते हुए एक कुर्दिश-ईरानी शरणार्थी ने अपनी पहली किताब ‘नो फ्रैंड बट दि माउंटेन्स’ के लिए देश का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार जीता है। इससे भी ज्यादा चर्चा इस बात की है कि उन्होंने यह किताब जेल में रहते हुए मोबाइल पर लिखी और एक-एक चैप्टर को वॉट्सऐप से अपने अनुवादक दोस्त को भेजते रहे।हालांकि, जब उन्हें पुरस्कार दिया जा रहा था तब वे समारोह में मौजूद नहीं थे।

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  1. इस शरणार्थी का नाम बेहरोज बूचानी है, जो लेखक, फिल्ममेकर और पत्रकार हैं। वे पिछले छह साल से पापुआ न्यू गिनी के मानुस आईलैंड के डिटेनशन सेंटर में बंद हैं। उनकी इस किताब को हाल में विक्टोरियन प्राइज फॉर लिटरेचर अवॉर्ड 2019 के लिए चुना गया है। उन्हें पुरस्कार के तौर पर 6.4 करोड़ (125000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर) मिले हैं। बूचानी को इस पुरस्कार के लिए ऑस्ट्रेलिया के नामी लेखकों में से चुना गया।

  2. 2012 में ईरान में लेखकों, पत्रकारों और फिल्मकारों के खिलाफ कार्रवाई की गई और उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस दौरान बूचानी वहां से निकलने में कामयाब हुए और समुद्र के रास्ते ऑस्ट्रेलिया में घुसते वक्त ऑस्ट्रेलियन नेवी ने उनकी बोट को कब्जे में ले लिया। फिर उन्हें 2013 में मानुस आईलैंड के डिटेनशन सेंटर भेज दिया गया।

  3. डिटेंशन सेंटर में रहते ही बूचानी ने स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय मैगजीन और न्यूजपेपर में लेख लिखे। किताब नो फ्रैंड बट दि माउंटेन्स डिटेनशन सेंटर के उनके अनुभवों पर ही आधारित है। इसके लिए वे अपने मोबाइल पर फारसी में एक-एक चैप्टर पूरा करते और फिर इसे अपने अनुवादक दोस्त ओमिड टोफिगियान को भेज देते थे।

  4. उन्होंने बताया कि किताब लिखने के दौरान सबसे बड़ा डर फोन छिन जाने का रहता था, क्योंकि सेंटर के सुरक्षाकर्मी बैरक की तलाशी के दौरान कैदियों के सामान को जब्त कर लेते थे। इसलिए में एक-एक चैप्टर फोन पर टाइप कर वॉट्सऐप के जरिए भेज देता था।

  5. आमतौर पर इस अवॉर्ड के लिए ऑस्ट्रेलिया की नागरिकता या यहां का स्थायी नागरिक होना जरूरी है, लेकिन बूचानी के मामले में यह छूट दी गई। जूरी ने उनकी कहानी को ऑस्ट्रेलिया की कहानी के तौर पर स्वीकार किया। इस अवॉर्ड पर बूचानी ने कहा, मुझे खुशी हो रही है, क्योंकि यह मेरे और मेरे जैसे शरणार्थियों के लिए बड़ी उपलब्धि है। यह सिस्टम के खिलाफ बड़ी जीत है।

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      refugee Behrouz Boochani wins prestigious Victorian Premiers Literary Award in Australia


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      Source: bhaskar international story