हम नहीं चाहते कि भारत किसी से हमारे विमानों को नुकसान पहुंचाने वाली तकनीक खरीदे: पेंटागन
वॉशिंगटन. अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहाकि वह भारत के साथ अपनी रक्षा साझेदारी को और मजबूत करना चाहता है। अमेरिकी उप रक्षामंत्री (नीति विभाग) डेविड ट्रैचटेनबर्ग ने गुरुवार को तुर्की के साथ एफ-35 फाइटर जेट का सौदा रद्द करने के दौरान यह बयान दिया। दरअसल, भारत की तरह ही तुर्की ने हाल ही में रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा किया है। इसके चलते अमेरिका ने उसके साथरक्षा सौदों में ऐहतियात बरतने काफैसला किया है।
डेविड से जब पूछा गया कि भारत और रूस के बीच एस-400 सौदे पर वे क्या कदम उठाएंगे, तो उन्होंने कहा कि भारत के साथ हमारा रिश्ता काफी अच्छा है, आने वाले समय में हम इसे और मजबूत करना चाहते हैं। लेकिन तुर्की के साथ रक्षा सौदा रद्द कर के ट्रम्प प्रशासन यही संदेश देना चाहतेहैं कि भारत ऐसी कोई तकनीक न खरीदे जिससे हमारे पांचवें जेनरेशन के विमानों को खतरा पैदा हो।
डेविड के मुताबिक, “तुर्की के साथ एफ-35 समझौता रद्द होना लगभग तय था, क्योंकि उसे कई बार रूस के साथ डील न करने की सलाह दी जा चुकी थी। हालांकि, यह सौदा रद्द होने से दोनों देशों के सैन्य रिश्तों पर कुछ खास असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका पहले की तरह आगे भी नाटो के सैन्य अभ्यासों में शामिल रहेगा।”
भारत ने पिछले साल अक्टूबर में ही रूस के साथ 40 हजार करोड़ का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने का सौदा किया था। इसके बाद से ही अमेरिका ने कई बार भारत को दुश्मन देश से समझौता करने के लिए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी।
दरअसल, अमेरिका काट्सा कानून के तहत अपने दुश्मन से हथियार खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है। इस लिहाज से भारत भी रूस से हथियार खरीदने के लिए प्रतिबंधों के दायरे में आ सकता है, लेकिन अमेरिका और भारत का रक्षा व्यापार बीते समय में काफी बढ़ा है। इसके चलते वह भारत पर प्रतिबंध लगाने से बचना चाहता था।
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Source: bhaskar international story