हुवावे की सीएफओ को 10 दिन बाद जमानत मिली, जीपीएस से रखी जाएगी नजर
वैंकूवर. चीन की स्मार्टफोन कंपनी हुवावे की सीएफओ मेंग वांगझू (46) को कनाडा की अदालत ने मंगलवार को जमानत दे दी। उनसे 54 करोड़ रुपए (75 लाख डॉलर) का जमानती बॉन्ड भरवाया गया। ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के उल्लंघन के आरोप में 1 दिसंबर को मेंग की गिरफ्तारी हुई थी। 10 दिन बाद उन्हें इस शर्त पर जमानत मिली कि उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करवाना होगा और जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस पहननी होगी।
अमेरिका की अपील पर कनाडा में मेंग को गिरफ्तार किया गया था। अमेरिका उनका प्रत्यर्पण चाहता है। उसने मेंग की जमानत का विरोध भी किया था। यूएस की दलील थी कि मेंग फरार हो सकती हैं।
हुवावे की सीएफओ की गिरफ्तारी एक दिसंबर को हुई थी। उसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जी-20 समिट में मुलाकात कर रहे थे। दोनों के बीच ट्रेड वॉर 90 दिन टालने पर सहमति बनी थी। लेकिन, मेंग की गिरफ्तारी के बाद फिर से रिश्ते खराब होने के आसार बढ़ गए।
ट्रम्प ने मंगलवार को कहा कि अगर ऐसा लगेगा कि चीन से अहम व्यापार सौदा करने के लिए हुवावे के मामले में दखल जरूरी है तो वो ऐसा करेंगे। अमेरिका-चीन के बीच पिछले कई महीनों से व्यापार विवाद चल रहा है। ट्रम्प ने उम्मीद जताई है कि वो इस मसले को सुलझाने के लिए चीन के साथ डील कर सकते हैं।
अमेरिका का आरोप है कि हुवावे ने हॉन्गकॉन्ग की टेक कंपनी स्काइकॉम को थर्ड पार्टी बनाकर ईरान की कंपनियों के साथ कारोबार किया। ऐसा कर हुवावे ने यूरोपियन यूनियन और अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन किया।
हुवावे का कहना है कि उसे कनाडा और अमेरिका की कानूनी प्रक्रिया पर भरोसा है। जिन देशों में भी कंपनी का कारोबार है वहां एक्सपोर्ट कंट्रोल और यूएन, यूएस, और ईयू के प्रतिबंध कानूनों का पालन किया जाता है।
चीन ने मेंग की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताते हुए तुरंत रिहा करने की मांग की थी। उन पर कार्रवाई से चीन में अमेरिका और कनाडा के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया। कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के मुताबिक चीन में कनाडा के पूर्व राजनयिक माइकल कोवरिग को मंगलवार को हिरासत में ले लिया गया। इसकी कोई वजह नहीं बताई गई।
कोवरिग के खिलाफ कार्रवाई पर संज्ञान लेते हुए कनाडा ने कहा कि चीन से बात की जाएगी। कनाडा के निजता कानून का ध्यान रखते हुए इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता।
मेंग के पिता रेन झेंगफेई हुवावे के चेयरमैन हैं। मेंग खुद भी कंपनी बोर्ड में वाइस चेयरपर्सन हैं। मेंग के पिता रेन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी हैं। वो 20 साल तक चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में थे। बताया जाता है कि उन्होंने सेना के टेक्नोलॉजी डिवीजन में भी काम किया था। रेन ने 1987 में हुवावे की शुरुआत की थी। वो अपनी बेटी मेंग को उत्तराधिकारी के तौर पर तैयार कर रहे हैं।
हुवावे सैमसंग के बाद दुनिया की दूसरी बड़ी स्मार्टफोन कंपनी भी है। इसी साल हुवावे ने एपल को पीछे छोड़ा है। हुवावे से 1.8 लाख कर्मचारी जुड़े हुए हैं। यह 170 देशों में प्रोडक्ट बेचती है। पिछले साल इसका टर्नओवर 6.5 लाख करोड़ रुपए रहा था। चीन के लिए हुवावे इसलिए अहम है क्योंकि इससे तकनीक के मामले में अमेरिका और यूरोप पर उसकी निर्भरता कम हो जाएगी।
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Source: bhaskar international story