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129 साल बाद बदलेगा 1 किलो वजन नापने का तरीका - Update Every Time
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129 साल बाद बदलेगा 1 किलो वजन नापने का तरीका



मैरीलैंड.129 साल बाद एक किलो वजन नापने का तरीका अपडेट होने वाला है। अब तक फ्रांस में रखे एक सिलेंडरनुमा बांट को दुनियाभर का स्टैंडर्ड एक किलो भार माना जाता था। लेकिन, अब स्टैंडर्ड एक किलो भार के लिए अमेरिका का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्ड एंड टेक्नोलॉजी (एनआईएसटी) एक फॉर्मूला तैयार करेगा।

एनआईएसटी के जीना कुब्रायच बताते हैं- ‘किलो के स्टैंडर्ड भार को ग्रैंड-के कहा जाता है। ये एक छोटे से कांच के बक्से में कैद गोल्फ की बॉल के बराबर ऊंचा एक सिलेंडर है। इसकी सुरक्षा और देख-रेख में काफी संसाधन लगते हैं। फिर भी खतरा बना रहता है कि अगर ये नष्ट हो गए, तो इंसानी सभ्यता के पास सटीक गणना के लिए कोई पैमाना नहीं बचेगा। इसीलिए अब एक किलो का फॉर्मूला तैयार करेंगे।’

143 साल पुरानी है किलो की पूरी कहानी
किलो की पूरी कहानी समझने के लिए 143 साल पीछे जाना पड़ेगा। 1875 में 17 देशों ने मिलकर फ्रांस में इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट एंड मेजर्स (बीआईपीएम) की स्थापना की थी। इसका काम था- अलग-अलग चीजों के 7 मानकों की इकाई तय करना। 7 स्टैंडर्ड (एसआई) इकाई तय हुईं। लंबाई के लिए मीटर, भार के लिए किलोग्राम, समय के लिए सेकंड, करंट के लिए एम्पीयर, तापमान के लिए केल्विन, पदार्थ की मात्रा के लिए मोल और प्रकाश की तीव्रता के लिए कैंडेला। हर मानक नापने के लिए बीआईपीएम में एक फिजिकल पैमाना रखा गया। जैसे कि- एक लंबी छड़ रखी गई, जो आदर्श एक मीटर थी। फिर दुनिया भर में इसी छड़ को आदर्श मानकर एक मीटर के स्केल तय किए गए।

1889 में बीआईपीएम में रखा गया आदर्श एक किलोग्राम का भार
इसी क्रम में 1889 में बीआईपीएम में ही आदर्श एक किलोग्राम का भार रखा गया और उसे ग्रैंड-के का नाम दिया गया। धीरे-धीरे बाकी 6 एसआई पैमानों के फिजिकल पैरामीटर को बदलकर सबका गणितीय फॉर्मूला तैयार कर दिया गया। जैसे कि- निर्वात में प्रकाश द्वारा सेकंड के 299,792,458वें हिस्से में तय की गई दूरी को एक मीटर माना गया। इसी तरह बाकी पैमानों के लिए भी फॉर्मूले बन गए। सिर्फ किलोग्राम बच गया। इसीलिए अब इसे भी फॉर्मूले में ढाला जा रहा है। इस पर काम लगातार जारी है।

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ये है फ्रांस में रखा एक किलो का आदर्श भार। एयरटाइट बक्से में बंद गोल्फ की बॉल के बराबर ऊंचा एक सिलेंडर। इसमें 90% प्लेटिनम और 10% इरेडियम था। इस बक्से को खोलने की दुनिया में 3 ही चाबी हैं। तीनों अलग-अलग जगह रखी गई हैं।

Source: bhaskar international story