17 साल की लड़की 467 दिन से वेंटिलेटर पर, जन्मदिन से 2 दिन पहले इसी हालत में अस्पताल से मिली छुट्टी
वॉशिंगटन. कंसास के विशिता में एक लड़की जी उवेदिया 467 दिन लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रही। बीते गुरुवार को उसे उसके 17वें जन्मदिन के दो दिन पहले छुट्टी दे दी गई। इस दौरान उवेदिया को लाइफ सपोर्ट सिस्टम लगा हुआ था। उनका कहना है कि लाइफ सपोर्ट सिस्टम के साथ छुट्टी होने से मेरा भरोसा बढ़ा है। लगता है कि अब जल्दी ठीक हो जाऊंगी। जिंदगी में कोईभी चीज स्थायी नहीं होती।
उवेदिया की रहस्यमय बीमारी अक्टूबर 2017 में शुरू हुई थी। उसे अचानक सांस लेने में दिक्कत होने लगी। उसके फेफड़ों ने लगभग काम करना बंद कर दिया।लेकिन यह क्यों हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं था।
उवेदिया के लक्षणों के देखकर उसकी मां ब्री कर्शन उन्हेंइमरजेंसी फिजीशियन के पास ले गईं। उसे विशिता के एक हॉस्पिटल में भर्तीकिया गया। जब यहां बात नहीं बनी तो फ्लाइट से कंसास सिटी के चिल्ड्रंस मर्सी हॉस्पिटल ले जाया गया।
उवेदिया की बिगड़ी हालत का पता लगाने के लिए मर्सी हॉस्पिटल में कई जांच की गईं। इसमें पता चला किउवेदिया को एंटीबायोटिक बैक्ट्रिम से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता था। ब्री ने बताया था कि पहली बार हॉस्पिटल में भर्ती किए जाने से पहले उसे किडनी के किसी इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक दिया गया था।
मर्सी हॉस्पिटल की डॉक्टर जेना मिलर ने बताया कि हम इस बात को 100% साबित नहीं कर पाएंगे, लेकिन हमारे पास पांच ऐसे केस आ चुके हैं जिनमें एंटीबायोटिक्स के रिएक्शन के चलते सांस लेने की गंभीर बीमारी सामने आई। बड़ी बात यह कि पांचों केस बैक्ट्रिम के रिएक्शन से ही हुए थे।
हॉस्पिटल में उवेदिया को हाईलेवल सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। इसे एक्स्ट्राकॉर्पोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सीजेनेशन (ईसीएमओ) कहा जाता है। इसमें एक पंप के जरिए कृत्रिम फेफड़ों में मरीज का खून भेजा जाता है। कृत्रिम फेफड़ों मेंखून में ऑक्सीजन मिलाई जाती है और कार्बन डाईऑक्साइड निकाल ली जाती है। इसके बाद खून को शरीर में ले जाया जाता है।
अमेरिका में ईसीएमओ के जरिए ठीक होने वाले मरीज 72% हैं। जबकि चिल्ड्रंस मर्सी हॉस्पिटल में ईसीएमओ के जरिए 800 मरीजों का इलाज किया गया, जिसमें 78% ठीक हो गए।
उवेदिया ऐसी पहली मरीज हैं जो ईसीएमओ लगे होने के बावजूद बैठी, खड़ी हुईं और खुद चलकर अस्पताल के बाहर तक आई। डॉ. मिलर के मुताबिक- हमारा विश्वास है कि वह और बेहतर हो सकती है। मुझे लगता है कि वह कई लोगों के लिए मिसाल बन सकती है।
डॉक्टरों के मुताबिक- उवेदिया का मामला दूसरों से काफी अलग रहा। उसे 189 दिन (छह महीने से ज्यादा) ईसीएमओ लगा रहा। किसी व्यक्ति का 100 दिन से ज्यादा ईसीएमओ पर रहना काफी कम ही देखा गया है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story