1947 में बंटवारे के वक्त बिछड़ गया था डेढ़ साल का भाई, सात दशक बाद मिला तो रो पड़ी बहनें, आपको भी इमोशनल कर देगी ये कहानी
इंटरनेशनल डेस्क: वैसे तो 1947 में भारत-पाकिस्तान बंटवारे में अपनों से बिछड़ने की हजारों कहानियां हैं, कुछ सुनी और कुछ अनसुनी… लेकिन 71 साल बाद एक ऐसा वाक्या सामने आया है जो आपको भावुक कर देगा, साल 1947 में हुए भारत के बंटवारे में बिछड़ी दो मुस्लिम बहनें और एक सिख भाई रविवार को गुरुद्वारा ननकाना साहिब में 7 दशक बाद पहली बार मिले।
ननकाना साहिब गए हैं बेअंत सिंह
बेअंत सिंह उन 3000 सिख श्रद्धालुओं में शामिल हैं जो अटारी बॉर्डर से नानक जयंती के मौके पर पाकिस्तान के पंजाब में ननकाना साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने के लिए रवाना हुए थे। यहां उनकी मुलाकात अपनी दो मुस्लिम बहनों उल्फत बीबी और मैराज बीबी से हुई। ये दोनों उनकी बहनें हैं, दोनों 71 साल बाद भाई से मिलकर रो पड़ी और उन्हें कसकर गले लगा लिया।
बंटवारे के वक्त बिछड़ गए थे बेअंत सिंह
बंटवारे के वक्त बेअंत सिंह डेढ़ साल के थे, वो परिवार से बिछड़ गए, परिवार पाकिस्तान चला गया और वो इंडिया में ही रह गए। मां, अल्लाह रखी ने बाद में अपने पूर्व पड़ोसियों में से एक से संपर्क किया और अपने बेटे के ठिकाने को पता चला। बेअंत कोएक सिख परिवार ने बेटा मानकर पाला था। तब से पत्रों और फोन कॉल के जरिए बेअंत अपनी बहनों के संपर्क में रहे।
बहनों की पाकिस्तान के पीएम से अपील
क पाकिस्तानी दैनिक एक्सप्रेस ट्रिब्यून से बात करते हुए उल्फत बीबी ने कहा कि उन्हें अपनी बहू और भतीजे और भतीजे से मिलने के लिए भारत जाने की इजाजत दी जानी चाहिए । उल्फत और मिराज ने पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान से अपील की कि वे अपने भाई के वीजा का विस्तार करें। पाकिस्तान और भारत ने गुरु नानक के अंतिम विश्राम स्थान, करतरपुर साहिब को सिख तीर्थयात्रियों की यात्रा की सुविधा के लिए करतरपुर गलियारे खोलने का फैसला किया है। गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक मंदिर से 4 किमी दूर है और ये भारतीय सीमा से दिखाई देता है।
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Source: bhaskar international story