Holi
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Holi
भारत के त्योहारों में रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली, होली,बैशाखी, क्रिसमस, ईद, आदि प्रमुख है। इन त्योहारों में Holi अपना महत्पूर्ण स्थान रखती है। होली का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। Holi हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसे रंगो का त्यौहार भी कहा जाता है। Holi विभिन्न प्रकार के रंगो के साथ मनाई जाती है। होली का त्यौहार पुरे भारत वर्ष में बड़े धूम – धाम से मनाया जाता है।
होली के त्योहार की विशेषता -: माघ की पूर्णिमा को होलिका रोपण होता है जिसे डांडा रोपना भी कहते है। तथा फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है। होली के दिन सब लोग शाम के समय में होलिका का दहन करते है। भारत में होली का उत्सव अलग – अलग तरीको से मनाया जाता है।
इन त्योहारों को मनाने का कारण -: Holi मनाने का मुख्य कारण या मान्यता यह है की इस दिन हिरण्यकशिप का पुत्र भगवान विष्णु की पूजा करता था। पर हिरण्यकशिप को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था। वह अपने पुत्र को कहता था की तुम मेरी पूजा करो, उस विष्णु की पूजा क्यों करते हो ऐसा उसने तुम्हारे लिए क्यों कर दिया है। तब उसके पुत्र ने कहा की पिताजी में तो विष्णु जी की ही पूजा करूंगा क्योकि में उनका सच्चा भक्त हूँ।
प्रहलाद के पिता को गुस्सा आया और वह अपनी बहन होलिका के पास गया। और उसे कहा की मुझे अपने पुत्र को मारना है क्योकि वह मेरी पूजा नहीं करता है, बल्कि उस विष्णु की करता है। तब होलिका ने कहा की मेरे पास एक चुंदड़ी है जिसे वरदान प्राप्त है की वह अग्नि में नहीं जलती। में उस चुंदड़ी को ओढ़कर प्रहलाद को अपनी गोद में बैठा कर अग्नि में बैठ जाउंगी। पर में तो उस चुंदड़ी की वजह से में बच जाउंगी और प्रहलाद उस अग्नि में जल जायेगा। तब उन दोनों ने ऐसा ही किया पर चुंदड़ी उड़कर प्रहलाद पर गिर गई तब होलिका उस अग्नि में जल गई और प्रहलाद बच गया। उसी दिन से Holi का त्यौहार मनाया जाता है।
रंगो का त्यौहार को मनाने का तरीका -: इस दिन लोग शाम को आग में नए पके अन्न की आहुति देते है और वह अन्न अग्नि में भून जाते है। इस भुने हुए अन्न को आपस में बाटते है। संस्कृत भाषा में आग में भुने हुए अधपके अन्न को होलक कहते है, इसी कारण से इस त्यौहार को होलिकोत्सव या Holi कहते है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते है और पकवान बनाते है व शाम को घर – घर जाकर आशीर्वाद लेते है। इस दिन पुराने गिले – शिकवे को भुलाकर लोग आपस में गले मिलते है व बड़ी धूमधाम से होलिका दहन करते है। Holi में हम रंग और मीठे खान – पान का लुप्त उठाते है। होली की शुरुआत भगवान श्री कृष्ण व राधा जी ने की थी।
होली खेलना -: होलिका दहन के अगले दिन दुलंदी आती है। इस दिन लोग एक दूसरे के रंग / गुलाल लगाते है, भिन्न प्रकार के रंग लगाते है व बड़े चाव से होली खेलते है। बाद में दोपहर में लोग नहा धोकर नए कपड़े पहनते है, भोजन करते है व घर घर जाकर शुभकामनाएं व बधाई देते है। की इस मंगलमय अवसर पर आप बहुत तरक्की करे, इसी तरह से आगे बढ़े मेरी भगवान से यही मनोकामना है।
भारत में विषेस जगह की होली -: भारत में होली की बात होती है तो सबसे पहले ब्रज में खेली जाने वाली Holi ही याद आती है। ब्रज में कई दिनों तक Holi खेली जाती है। ब्रज की लठमार होली बहुत प्रसिद्ध है। यह रंगो का मनभावन त्यौहार मेल मिलाप के त्यौहार के रूप में प्रसिद्ध है।
होलिका दहन से हमे यह सिख मिलती है की जिस तरह हिरण्यकशिप व होलिका ने प्रहलाद को मारना चाहा। उसके साथ गलत किया पर इसमें प्रहलाद की जीत हुई। इसी प्रकार हमे दुसरो के बारे गलत नहीं सोचना चाहिए। वरना हमने जिसके बारे में गलत सोचा वह कभी हमारे साथ भी हो सकता है। इसी प्रकार इस त्यौहार में बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।