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द्वितीय विश्व युद्ध में भालू सैनिक के पद पर था, सोल्जर्स की मदद की; अब उस पर बन रही फिल्म



वॉरसा. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक सीरियाई भालू वोजटेक को कॉर्पोरल का दर्जा हासिल था। उसने पोलैंड के सैनिकों को रसद पहुंचाने में काफी मदद की। अब उस पर फिल्म बनाने की योजना है जिसे ब्रिटिश-पोलैंड के फिल्ममेकर मिलकर बनाएंगे। फिल्म को 2020 में विक्ट्री इन यूरोप डे की 75वीं सालगिरह पर रिलीज करने की योजना है।

  1. द्वितीय विश्व युद्ध में हिस्सा ले चुके 93 साल के वोजसिएक नारेब्स्की बताते हैं, ‘‘जब वोजटेक हमें काम करते देखता तो खुद हमारी मदद के लिए आ जाता और क्रेट उठाकर ट्रक की ओर चल देता। वोजटेक 22वीं आर्टिलरी सप्लाई कंपनी में तैनात था।’’

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  2. नारेब्स्की के मुताबिक,‘‘वोजटेक को बीयर और सिगरेट पीना पसंद था। कभी-कभी वह सिगरेट खा भी जाता था। उसे रात में अपने हैंडलर के साथ सोना और साथियों के साथ कुश्ती लड़ना पसंद था। जब प्रतिद्वंद्वी हार जाता तो वोजटेक माफी के लिए उसका चेहरा चाट लेता था।’’

  3. पुरानी फोटो से पता चलता है कि वोजटेक करीब छह फीट ऊंचा था। उसका वजन 220 किलोग्राम था। वह अपने साथियों केगले लगता था और दिनभर मस्ती करता था। खाना मांगने के लिए वह साथियों का हाथ मुंह से पकड़ लेता था।’’

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  4. भालू का यह अनाथ बच्चा पोलिश सैनिकों को फारस (ईरान) में मिला था। बाद में उसने इराक, सीरिया, फिलीस्तीन, मिस्र, इटली और स्कॉटलैंड की भी यात्रा की। इस दौरान वह सैनिकों का मनोबल बढ़ाने का जरिया था। इसकी कहानी को अब एक एनिमेटेड फिल्म में बदल दिया गया है।

  5. वोजटेक एक प्रबुद्ध सिपाही की तरह ही था। उसकी अपनी खुद की पे-बुक, राशन और रैंक थी। द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद उसे एडिनबरा (स्कॉटलैंड) जू में रख दिया गया। 1963 में 21 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।

  6. ब्रिटिश प्रोड्यूसर इयान हार्वे के मुताबिक,‘‘शुरुआत में यह कहानी काल्पनिक लगी लेकिन यह सच था। इसने हमें चौंका दिया। भावनात्मक रूप से जुड़ने के लिए वोजटेक की कहानी में काफी कुछ है। इंसानों में भी कभी-कभी ऐसी जादुई घटनाएं होती हैं, जिन्हें बौद्धिक रूप से सही नहीं माना जा सकता।’’

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      वोजटेक सैनिकों को काम करते देखता तो खुद उनकी मदद के लिए आ जाता था।


      Animated film to spotlight bear that served in World War II

      Source: bhaskar international story