पर्यावरण संरक्षण के लिए वेस्ट मटेरियल लाने के बदले बच्चों को दी जा रहीं किताबें
रोम. दक्षिण इटली में एक लाइब्रेरी-कैफे प्लास्टिक की बोतलें और एल्युमिनियम कैन जैसी रिसाइकिल होने वाली चीजों के बदले बच्चों को किताबें बांट रहा है। पोला शहर में मौजूद इस लाइब्रेरी के मालिक मिशेल के मुताबिक, वे इस तरह से बच्चों को शिक्षित करने के साथ उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरुक कर रहे हैं।
इसका मकसद यह है कि आने वाले समय में ग्लोबल वॉर्मिंग और रिसाइक्लिंग के बारे में युवा पीढ़ी ज्यादा जागरुक रहे। मिशेल का कहना है कि यह तरीका बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि पैदा कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही उनका यह तरीका पूरे देश में वायरल होगा।
दरअसल, मिशेल इटली के वे पहले व्यक्ति हैं, जिन्होंने कुछ साल पहले किताबें बांटने का सिलसिला शुरू किया था। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी उनकी इस पहल की तारीफ की थी। मिशेल बताते हैं कि उन्हें मुफ्त किताबें बांटने का आइडिया दूसरे विश्व युद्ध के एक कॉन्सेप्ट से आया।
उस वक्त कैफे में जो भी व्यक्ति चाय या कॉफी पीने आता था, वह अपना बिल भरने के साथ एक एक्स्ट्रा कॉफी का बिल भरता था ताकि कोई अज्ञात व्यक्ति पैसे न होने पर कॉफी पी सके। ठीक इसी तरह लाइब्रेरी से किताब खरीदने का सिस्टम भी बनाया गया है।
मिशेल ने बताया कि प्लास्टिक या धातु के बदले किताब देने का विचार उन्हें पहली बार प्लास्टिक के एक ढेर को देखकर आया। वहां पड़े ढेर की कीमत करीब 400 यूरोज (32 हजार रुपए) थी। इससे किसी बच्चे की एक साल की किताबें खरीदी जा सकती हैं। मिशेल के मुताबिक, इसके बाद उन्होंने एक स्कूल से संपर्क कर एल्युमिनियम कलेक्शन प्रोग्राम रखा। जो भी चीजें इकट्ठा हुईं, उनसे 498 यूरो (40 हजार रुपए) मिले।
मिशेल का कहना है कि उन्होंने इसी पैसे से एक पूरी क्लास के लिए किताबें खरीद दीं। उनकी पहल का स्कूल ने भी काफी समर्थन किया। इसके बाद ही मिशेल को प्लास्टिक बोतल और कैनों के बदले किताबें देने का आइडिया आया। उनकी इस पहल को कई लोगों का साथ मिल रहा है। उत्तरी इटली में उनकी यह तरकीब चर्चा में है।
जेनटाइल के मुताबिक, किसी सामान्य दिन में वे 60 किताबें दान करते हैं। मिशेल का कहना है कि मान लीजिए हर बच्चे को बोतलों और कैनों के बदले किताबें मिलें, तो दुनिया में कितना बड़ा बदलाव आ सकता है।
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Source: bhaskar international story