प्रदूषण के बीच काम के एवज में कंपनियां कर्मचारियों को दे रहीं मुफ्त घर और भत्ता
बीजिंग. जलवायु परिवर्तन और उद्योगों के विस्तार से बढ़ता प्रदूषण अब कई बड़ी आबादी वाले देशों पर असर डालने लगा है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव उन शहरों में पड़ा है, जहां अलग-अलग क्षेत्रों की कंपनियां सालों से काम कर रही हैं। दरअसल, प्रदूषण के चलते इन कंपनी के कर्मचारियों को काम करने में काफी दिक्कत आ रही है। कई लोगों ने शिकायत की है कि इन हालातमें उनकी क्षमताएं घट रही हैं। ऐसे में कर्मचारियोंको रोकना अब कंपनियों के लिए चुनौती बन चुका है।
इस स्थिति से निपटने के लिए कंपनियां भी अब कर्मचारियों को अलग-अलग सुविधाओं का प्रलोभनदेकर काम के लिए बुला रही हैं। चीन और जापान में तो अब कंपनियां लोगों को घर दे रहीहैं, या फिर उनकाऔर उनके पूरे परिवार का खर्च उठा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के मुताबिक, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में फैले प्रदूषण की वजह से करीब 92% लोगों पर इससे जुड़ी बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते ज्यादातर कर्मचारी बेहतर स्वास्थ्य के लिए साफ-सुथरेस्थानढूंढ रहे हैं। ऐसे में कंपनियों को उन्हें काम करने के लिए बेसिक सैलरी से भी करीब 20-30% ज्यादा देना पड़ रहा है।
इसके अलावा भारी स्मॉग की स्थिति में तो कंपनियों को कई बार कर्मचारियों को अतिरिक्त छुट्टी भी देनी पड़ रही हैं। काम के समय से भी समझौता करना पड़ता है, ताकि लोगों को कम प्रदूषण वाले इलाके तक सफर करने में आसानी हो जाए। कुछ कंपनियांकर्मचारियोंको ऑफिस के साथ-साथ घर में भी एयर प्यूरीफायर, ब्रीथिंग मास्क और मेडिकल चेकअप की सुविधाएं देती हैं।
एशियाई कंसल्टेंसी फर्म ईसीए इंटरनेशनल के डायरेक्टर ली क्वैन के मुताबिक, अगर कंपनियां इन छोटे-छोटे खर्चों को भी जोड़ती हैं तो उस पर प्रति कर्मचारीसालाना 10 हजार डॉलर (करीब 7 लाख रुपए) तक का अतिरिक्त खर्च आ जाता है।
चीन के बीजिंग में तो 2014 में ही पैनासोनिक और कोका कोला जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को प्रदूषण भत्तादेने का ऐलान कर दिया था। नई दिल्ली जैसे शहरों में भीप्रदूषण की वजह से नौकरी के लिए आवेदन करने वालों कीसंख्या घटरही है और कंपनियों को कम गुणवत्ता वाले कर्मियों से ही काम चलाना पड़ रहा है।
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Source: bhaskar international story