बाढ़ से बचने के लिए 2 साल के बच्चे के साथ पेड़ पर चढ़ी थी गर्भवती, वहीं पर जन्मी बेटी
मपूतो. बीते दिनों मोजांबिक-जिम्बाब्वे में इदाई तूफान आया था।तूफान के साथ आई तेज बारिश ने सबकुछ सराबोर कर दिया, तब मोजांबिक में एक गर्भवती महिलाबचाव के लिए अपने दो साल के बेटे को लेकर आम के पेड़ पर चढ़ गई।अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।महिला ने पेड़ पर ही बेटी को जन्म दिया। फिलहाल मां एमेलिया और उसकी बेटी सारा दोनों स्वस्थ हैं।
बाढ़ का पानी कुछ कम होना शुरू हुआ तो पड़ोसियों ने एमेलिया और उसके बेटे की तलाश शुरू की। उन्हें चिंता थी कि गर्भवती महिला खराब हालात में खुद को कैसे संभालेगी। एमेलिया और उसका परिवार दो दिन बाद पड़ोस के लोगों को मिल सका। तीनों पेड़ पर रह रहे थे।
मपूतो और इसके आसपास के इलाके में बाढ़ की वजह से 700 लोगों की मौत हो गई। बहुत से लोगों इसके चलते बेघर हो गए। एजेंसी के सूत्रों का कहना है कि बाढ़ इतनी भयावह थी कि लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर दूसरी जगहों पर शरण लेनी पड़ी।
एमेलिया ने यूनिसेफ के अधिकारियों को बताया कि वह अपने दो साल के बेटे के साथ घर में अकेली थी। बाढ़ का पानी तेजी से घर में घुसने लगा तो उसके सामने पेड़ पर चढ़ने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था।महिला और उसका परिवार एक अस्थाई जगह पर रह रहा है।
मोजांबिक में 20 साल पहले एमेलिया की तरह से एक अन्य महिला सोफिया ने भी पेड़ पर ही बच्ची को जन्म दिया था। उसकी बेटी रोशिता अब 19 साल की है।
यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आया था, क्योंकि हेलिकॉप्टर की मदद से सोफिया और उसकी नवजात बच्ची को बचाया जा सका था। उस समय पेड़ के चारों तरफ बाढ़ का पानी था।
सोफिया का कहना है कि प्रसव के समय वह चीख रही थी। कभी उसे लगता था कि बच्चा बाहर आ रहा है तो कभी लगता था कि भूख की वजह से उसे पीड़ा हो रही है।
रोशिता ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि सरकार ने जो वादे उससे किए थे, वो आज भी अधूरे हैं। हालांकि, सरकार ने उनके लिए घर बनाकर दिया, लेकिन अब यह जीर्णशीर्ण हालत में है।
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Source: bhaskar international story