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मोदी-राहुल जर्मनी आए तो युवा कांग्रेस-भाजपा से जुड़े; पहले गुटों में बंटे थे, अब हिंदुस्तानी वाली फीलिंग - Update Every Time
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मोदी-राहुल जर्मनी आए तो युवा कांग्रेस-भाजपा से जुड़े; पहले गुटों में बंटे थे, अब हिंदुस्तानी वाली फीलिंग



अंजनि कुमार राय (फ्रैंकफर्ट). दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में चुनाव खत्म हो गए। इसकीहलचल यूरोप तक दिखाई दी। जर्मनी में डेढ़ लाख से ज्यादा भारतीय या भारतीय मूल के लोग हैं, जिनमें से ज्यादातर बर्लिन, म्यूनिख, हैम्बर्ग और डॉर्टमंड में रहते हैं। लेकिन भारतीय चुनाव की कई जगह चर्चा है।

अगस्त 2018 में राहुल गांधी, शशि थरूर और अन्य नेता 3-4 दिन के लिए हैम्बर्ग आए थे तो यहां रहने वाले भारतीयों खास तौर पर युवाओं पर उनके भाषण और विचारों का काफी असर दिखा। कई युवा कांग्रेस से जुड़े। राहुल यहां की यंग जनरेशन में जोश भरने में कामयाब रहे। ऐसा ही कुछ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने की वजह से हुआ। कई युवा भाजपा और मोदी के साथ जुड़े।

‘अब यहां के गुटों की सोचमें बदलाव’
राय कहते हैं- मैं असाफनबर्ग में रहता हूं, लेकिन ज्यादातर वक्त फ्रैंकफर्ट में ही गुजरता है। यहां जर्मनी का सबसे पुराना कल्चरल इंस्टीट्यूट भारतीय संस्कृति संस्थान भारतीयों के मेल-मिलाप का बड़ा केंद्र है। करीब 30 साल पहले डॉ. इंदुप्रकाश ने इसकी स्थापना की थी। यहां भी विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान चर्चा का विषय भारत का लोकसभा चुनाव ही रहा।

दिलचस्प बात यह कि पहले यहां भारतीयों के कई राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य समूह बने हुए थे मसलन केरला कल्चरल ग्रुप, पंजाबी ग्रुप, बंगाली ग्रुप। वे अब भी हैं, लेकिन 2014 के बाद से इसमें काफी बदलाव दिखता है। अलग-अलग लोगों के समूहों में अब सबसे बड़ी फीलिंग एक हिंदुस्तानी होने की है। उन्हें पंजाबी, बंगाली, मराठी होने से ज्यादा इस बात पर गर्व है कि वे भारतीय हैं। इसका असर जर्मनी में होने वाली विभिन्न आयोजनों में भी दिखता है।

‘जर्मन मीडिया की भी भारतीय चुनाव पर नजरें’
जर्मन मीडिया भी भारतीय चुनाव को लेकर खबरें प्रकाशित कर रहे हैं। असाफनबर्ग में वैसे तो भारतीयों की संख्या कम है, लेकिन स्थानीय अखबार भारतीय चुनाव के नतीजों पर नजरें गड़ाए हैं। एक अखबार ने लिखा- भारत में भाजपा और नरेंद्र मोदी का माहौल तो है, लेकिन 2014 की जैसी स्थिति नहीं है।

हालांकि एनडीए और यूपीए के मामले में अखबार एनडीए के आने की ही भविष्यवाणी कर रहे हैं। जर्मनी का बड़ा अखबार साइट लिखता है- भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरा कार्यकाल मिलने के अच्छे आसार हैं। हालांकि उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती राहुल गांधी हैं।

(अंजनि कुमार राय फ्रेंकफर्ट स्थित भारतीय संस्कृति संस्थान के अध्यक्ष हैं)

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नरेंद्र मोदी और एंजेला मर्केल।

Source: bhaskar international story