किस एक गलती के कारण बर्बाद हुआ “बिज़नेस का टायकून” पढ़िए पूरी कहानी माल्या की
किस एक गलती के कारण बर्बाद हुआ “बिज़नेस का टायकून” पढ़िए पूरी कहानी माल्या की
‘किंग ऑफ़ गुड टाइम’ और भारत के ‘बिज़नेस टायकून’ के नाम से मशूहर विजय माल्या कब भारत आने को बेताब है । वह अब भारतीय बैंको से लिया हुआ 9 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यदा का क़र्ज़ लौटने को तैयार है । करीब 2.5 साल बाद भारत के जानेमाने बिज़नेसमन विजय माल्या ने भारत वापस लौटने की इच्छा ज़ाहिर की है और साथ ही पूरा क़र्ज़ लौटने की इच्छा भी ज़ाहिर की है। कभी भारत के मशूहर कारोबारियों में शुमार विजय माल्या की बर्बादी की कहानी पूरी एक फिल्म की तरह है । कहा जाता है की विजय माल्या का सिक्का फ़िल्मी घराने से लेकर कॉर्पोरेटर लॉबी तक और खेल जगत में चलता था । और साथ ही पार्टीज और रंगीनियो के लिए विजय माल्या मशूहर थे इस कारण उन्हें किंग ऑफ़ गुड्स टाइम कहा जाता था लकिन एक गलती ने उसे बिज़नेस टायकून का पूरा तख्तो – ताज पलटकर रख दिया और ‘ किंग ऑफ़ गुड टाइम’ से हटा कर ‘किंग ऑफ़ बैंड टाइम ‘ बना दिया ।
2007 में हुई थी बड़ी गलती
साल 2005 में विजय माल्या ने किंगफिश एयरलाइंस की शुरुआत की थी. उनका किंगफिशर एयरलाइंस को एक बड़ा ब्रैंड बनाने का सपना था। और वो पूरा भी हुआ था । लेकिन इसीलिए विजय माल्या ने साल 2007 में देश की पहली लो कॉस्ट एविएशन कंपनी एयर डेक्कन का टेकओवर किया था. इसके लिए उन्होंने 1,200 करोड़ रुपए की भारी रकम खर्च की थी. साल 2007 में किया गया एक सौदा विजय माल्या के लिए सबसे बड़ी गलती साबित हुआ. इस सौदे के पांच साल के भीतर विजय माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई और उनका पूरा कारोबारी साम्राज्य और बिज़नेस टायकून लगभग खत्म हो गया.
दूसरी बड़ी गलती
साल 2007 सौदे में विजय माल्या को जल्दी और तत्काल फायदा हुआ और साथ ही किंगफ़िशर भारत देश की दूसरी बड़ी एविएशन कंपनी बन गयी. लेकिन कंपनी एयर डेक्कन को खरीदने के पीछे जो लक्ष्य रखा गया वो हासिल नहीं कर पाई िश के पीछे मुख्य कारण बढ़ती हुई फ्यूल कॉस्ट ने ऑपरेशन लागत बढ़ा दी जिस के कारण किंगफ़िशर कंपनी को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।
तीसरी बड़ी गलती
विजय माल्या ने एक और बड़ी गलती की थी उन्होंने एयर डेक्कन को गोद लिया और बेटे की तरह व्यवहार किया. एयर डेक्कन को शामिल करने के बाद भी माल्या को उम्मीद थी कि एयर डेक्कन के कस्टमर किंगफ़िशर की और बड़ेगे लकिन ऐसा हुआ नहीं और इसका उल्टा होने लगा. अंत में एयर डेक्कन जो की किंगफिशर रेड के कस्टमर दूसरी लो कॉस्ट एयरलाइंस की ओर रुख करने लगे. इस प्रकार अक्टूबर 2012 में किंगफिशर एयरलाइंस बंद हो गई. इस का असर विजय माल्या के कारोबारी साम्राज्य पर बुरी तरह से पड़ा. इस कारण उस का बिजनेस ख़त्म होने के कगार पर है.
चौथी बड़ी गलती
बिज़नेस टायकून विजय माल्या की चौथी बड़ी गलती यह थी की उस की सारी स्ट्रैट्जी फैले होती गयी जिस के कारन उस का सारा बिज़नेस ख़त्म हो गया
साल 2012: – इस साल में किंगफिशर एयरलाइंस का सभी स्टाफ को सलैरी नहीं देने के कारण सभी स्टाफ इस का विरोध किया और हड़ताल पर चले गए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किंगफिशर एयरलाइंस के सभी अकाउंट्स सीज कर दिए और किंगफिशर एयरलाइंस का परिचालन बंद कर दिया . अक्टूबर में भारत सरकार किंगफिशर एयरलाइंस का लाइसेंस सस्पेंड कर दिया. वहीं,विजय माल्या ने कर्ज का बोझ कम करने के लिए अपनी शराब कंपनी यूनाइटेड स्प्रिट्स में हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की. ब्रिटिश कंपनी डियाजियो हिस्सा खरीदने के लिए राजी हो गई.
सन 2013:- डियाजियो ने 6,500 करोड़ रुपए में यूएसएल की 27 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली. लेकिन, किंगफिशर एयरलाइंस (केएफए) को कर्ज देने वालों को पैसे वापस नहीं दिए गए और इस कारण विजय माल्या के कारोबारी साम्राज्य पर भी पड़ा, जो अब लगभग खत्म होने के कगार पर है.
सन 2014:- यूनाइटेड बैंक ने यूनाइटेड ब्रुवरीज होल्डिंग्स को जानबूझकर कर्जा नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया. जिस कारण विजय माल्या के कारोबारी साम्राज्य पर भी पड़ा, जो अब लगभग खत्म होने के कगार पर है.
सन 2015:- डियाजियो ने विजय माल्या को कहा कि वह यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन का पद छोड़ दें, लेकिन माल्या ने पद छोड़ ने से इनकार कर दिया.
सन 2016:- डियाजियो के साथ समझौते के तहत विजय माल्या ने यूनाइटेड स्प्रिट्स चेयरमैन का पद छोड़ा और बदले में उन्हें 515 करोड़ रुपए मिले. लेकिन, बैंकों के आग्रह पर डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने पैसे निकालने पर रोक लगा दी.
विजय माल्या इस हालत के प्रमुख कारण
विजय माल्या को शराब का व्यवसाय उन्हें पिता विट्ठल माल्या से विरासत में मिला था. उन्होंने अपने बिज़नेस के लिए देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थानों से लोगों को चुना और इस शराब उद्योग को एक कार्पोरेट रूप दिया. लेकिन, झटके में नई कंपनियां खरीदने की उनकी इस आदत और कई बार तो बिना बही-खाते की जांच के ही फैसला लेने की वजह से विजय माल्या की यह हालत हो गई है. विजय माल्या ने किंगफिशर एयरलाइन इस मकसद से शुरू की कि उन्हें शराब कारोबारी नहीं बल्कि शराब उद्योगपति समझा जाए. यही वजह थी कि वो अपनी एयरलाइन में यात्रियों को वो सारे सुख देना चाहते थे, जो कोई और कंपनी सोचती भी नहीं थी.
मुनाफे पर बुरा असर बड़ना
विजय माल्या ने अपनी किंगफिशर एयरलाइन के यात्रियों के लिए उन्होंने मंहगी विदेशी पत्र-पत्रिकाएं मंगवाई, पर शायद वे कभी गोदाम से बाहर निकल ही नही पाईं. इस कारण किंगफिशर एयरलाइन कंपनी के मुनाफे पर इन बातों का बुरा असर पड़ना ही था. यही वजह से रही कि समय-समय पर कर्ज लेने वाले विजय माल्या पर बोझ इतना बढ़ गया कि वह उसे चुकाने में ही नाकाम साबित हुआ और देश छोड़कर फरार हो गया.