उबर 21390 करोड़ रु. में कंपीटीटर फर्म करीम को खरीदेगी, मिडिल-ईस्ट में पकड़ मजबूत होगी
करीम के अधिग्रहण के लिए उबर 1.4 अरब डॉलर नकद भुगतान करेगी और 1.7 अरब डॉलर के कन्वर्टिबल नोट्स जारी करेगी। डील 2020 की पहली तिमाही में पूरी होने की उम्मीद है। इसके लिए रेग्युलेटर्स की मंजूरी जरूरी होगी।
उबर के सीईओ दारा खोसरोशाही का कहना है कि मिडिल ईस्ट के शहरी परिवहन का भविष्य तय करने में करीम ने अहम भूमिका निभाई है। यह क्षेत्र का सबसे सफल स्टार्टअप है। दोनों कंपनियों के एक होने से ग्राहकों, ड्राइवरों और शहरों को फायदा होगा।
उबर से डील के बाद भी करीम के को-फाउंडर और सीईओ मुदस्सिर शेख पहले की तरह बिजनेस देखते रहेंगे। दोनों ब्रांड स्वतंत्र रूप से काम करेंगे।
उबर की मिडिल-ईस्ट में पकड़ मजबूत होगी। उबर के बड़े निवेशकों में शामिल सऊदी अरब के सॉवरेज वेल्थ फंड का बेस भी मिडिल-ईस्ट ही है। 2016 में उसने उबर में 3.5 अरब डॉलर का निवेश किया था।
उबर इस साल आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। इसकी वैल्यू 120 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह किसी टेक्नोलॉजी कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा।
आईपीओ से पहले उबर घाटे वाले बिजनेस बेचकर और नए अधिग्रहण कर अपनी साख बढ़ाना चाहती है। पिछले साल इसे 1.8 अरब डॉलर का घाटा हुआ था। इसका पिछला बड़ा सौदा अमेरिका की बाइक शेयरिंग फर्म जम्प को खरीदने का था।
उबर को चीन और साउथ-ईस्ट एशिया जैसे बड़े बाजारों से बाहर होना पड़ा था। उबर की सेवाएं वहां के स्थानीय कैब सर्विस प्रोवाइडर के मुकाबले बेहद महंगी थीं। इसलिए, उबर उनका मुकाबला नहीं कर पाई।
उबर ने 2016 में चीन का बिजनेस वहां की लोकल फर्म दीदी चूजिंग को बेच दिया था। साउथ-ईस्ट एशिया का कारोबार पिछले साल सिंगापुर की कंपनी ग्रैब को बेच दिया।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Source: bhaskar international story